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2021 की गुप्त नवरात्रि जानें देवी की 10 महाविद्याओं के विषय में !

Myjyotish Expert Updated 19 Feb 2021 04:30 PM IST
Gupt Navaratri
Gupt Navaratri - फोटो : Myjyotish
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शास्त्रों में कुल 4 नवरात्रि का जिक्र किया है शरद, चैत्र, माघ और आषाढ़। माघ और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। माघ गुप्त नवरात्रि को तंत्र-मंत्र और सिद्धि साधना के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दौरान दस महाविद्याएं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगुलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। 

कहते हैं कि गुप्त नवरात्रि की पूजा को गुप्त रखने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी ही ज्यादातर मां दुर्गा की पूजा करते हैं यह पूजा आधी रात को की जाती है मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है इसके बाद मां के चरणों में पानी वाला नारियल, केले, सेब, खील, बताशे और श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है। मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है। सरसों के तेल से दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए। गुप्त नवरात्रि के दौरान हम जिन 10 महाविधाएं की पूजा करते हैं उनके प्रतीक कुछ इस प्रकार हैं 
  • काली ( समस्त बाधाओं से मुक्ति)
  • तारा ( आर्थिक उन्नति)
  • त्रिपुर सुंदरी ( सौंदर्य और ऐश्वर्य)
  • भुवनेश्वरी ( सुख और शांति)
  • छिन्नमस्ता ( वैभव, शत्रु पर विजय, सम्मोहन)
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  • त्रिपुर भैरवी ( सुख-वैभव, विपत्तियों को हरने वाली)
  • धूमावती ( दरिद्रता विनाशिनी)
  • बगलामुखी ( वाद विवाद में विजय, शत्रु पर विजय)

शरद, चैत्र, माघ और आषाढ़ मैं आने वाले चारों नवरात्र हमेशा तीन 3 महीने के अंतराल पर आते हैं प्रत्यक्ष नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है और गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रों का महत्व, प्रभाव और पूजा विधि बताने वाले ऋषियों में श्रृंगी ऋषि का नाम सबसे पहले लिया जाता है। धार्मिक कथा के अनुसार, एकबार एक महिला श्रृंगी ऋषि के पास आई। उसने बताया कि उसका जीवन कष्टों से भरा है। मेरे पति दुर्व्यसन करते हैं। इस कारण कोई धार्मिक कार्य, व्रत या अनुष्ठान भी नहीं कर पा रही। महिला ने पूछा कि मैं मां शक्ति की कृपा पाने के लिए क्या करूं? ऋषि ने महिला को गुप्त नवरात्र में साधना करने के लिए कहा था। ऋषिवर ने उसे साधना की विधि भी बताई। विधि-विधान से पूजन के बाद उसके सारे कष्ट दूर हो गए ।

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