खास बातें
Govind Dwadashi Puja : गोविंद द्वादशी का पर्व फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन मनाया जाता है. यह पर्व भगवान श्री हरि के गोविम्द रुप के पूजन का समय होता है.इस दिन भगवान का पूजन भक्तों के कष्टों को दूर करने वाला होता है.
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Govind Dwadashi Puja : गोविंद द्वादशी का पर्व फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन मनाया जाता है. यह पर्व भगवान श्री हरि के गोविंद रुप के पूजन का समय होता है. इस दिन भगवान का पूजन भक्तों के कष्टों को दूर करने वाला होता है.Govind Dwadashi importance गोविंद द्वादशी का महत्व एवं उल्लेख शास्त्रों में प्राप्त होता है. माना जाता है इस दिन किया भगवान श्री विष्णु का पूजन मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है. गोविंद द्वादशी के दिन व्रत एवं उपवास का नियम करने से भक्तों को मिलता है विशेष सुख एवं फल.
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शास्त्रों के अनुसार गोविंद द्वादशी का पर्व फाल्गुन माह में आने वाली द्वादशी के दिन किया जाता है. यह का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण के जन्म के अनुसार मनाया जाता है. भगवान श्री कृष्ण का एक नाम गोविंद भी है. इस दिन विशेष रूप से भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है. इसी के साथ भक्त इस दिन भगवान के नाम स्मरण एवं पूजन को करते हैं. भजन जागरण के द्वारा इस दिन को मनाया जाता है. इस दिन भगवान की आराधना द्वारा शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन भी भगवान श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करने से इच्छाओं की पूर्ति होती है.
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गोविंद द्वादशी पूजा
भगवान श्री कृष्ण को त्रेता युग के कल्याणकर्ता के रूप में पूजा जाता है. गोविंद द्वादशी का पूजन दुख दूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण की पूजा के महत्व को दर्शाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस द्वादशी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं. परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.शास्त्रों में गोविंद द्वादशी को भगवान श्रीकृष्ण का दिन कहा गया है और इस दिन कान्हा की पूजा करने से विशेष फल मिलता है. गोविंद द्वादशी के दिन प्रात:काल सूर्य उपासना के साथ ही भगवान का पूजन करते हैं. भगवान को इस दिन माखन मिश्री का भोग भी अवश्य अर्पित करना चाहिए. अगर आप दुखों और परेशानियों से जूझ रहे हैं तो गोविंद द्वादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण के विशेष मंत्रों का जाप करने से आपकी परेशानियां और चिंताएं दूर हो सकती हैं.
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गोविंद द्वादशी मंत्र
शास्त्रों के अनुसार गोविंद द्वादशी का पर्व फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली द्वादशी के दिन किया जाता है. यह का एक महत्वपूर्ण समय है. भगवान श्री कृष्ण के नाम स्मरण के साथ ही इस दिन मंत्रों के साथ गोविंद पूजन किया जाता है. इस दिन विशेष रूप से भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है. इसी के साथ भक्त इस दिन भगवान के नाम स्मरण एवं पूजन को करते हैं. भजन मंत्र एवं रात्रि पूजन के द्वारा इस दिन को मनाया जाता है. इस दिन भगवान की आराधना द्वारा शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन भी भगवान श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करने से इच्छाओं की पूर्ति होती है.गोविंद द्वादशी के दिन प्रात:काल सूर्य उपासना के साथ ही भगवान का पूजन करते हैं. भगवान को इस दिन माखन मिश्री का भोग भी अवश्य अर्पित करना चाहिए. अगर आप दुखों और परेशानियों से जूझ रहे हैं तो गोविंद द्वादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण के विशेष मंत्रों का जाप करने से आपकी परेशानियां और चिंताएं दूर हो सकती हैं.
'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री'
ऊँ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय नम:
ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्र्सो.'
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कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने.
प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:
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