ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष से शुरु होगा गंगा स्नान
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष का आरंभ होने के साथ ही गंगा स्नान का आरंभ भी हो चुका है. इस माह के शुक्ल पक्ष के समय गंगा स्नान की महिमा का वर्णन अनेक ग्रंथों में मिलता है. हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठा माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से गंगा स्नान की महिमा विशेष रही है. इस वर्ष मंगलवार से गंगा स्नान का आरंभ हो रहा है यह दिन बड़ा मंगल नाम से भी जाना जाता है. इस समय पर तीर्थ नगरियों में देवताओं का वास होता है.
गंगा स्नान करन अत्यंत शुभ समय होता है. इस दिन भक्त गंगा स्नान हेतु बढ़-चढ़ कर भाग लेते है, अपने ईष्ट को प्रसाद चढ़ाते हैं, अनुष्ठान करते हैं और पवित्र नदी में स्नान करते हैं क्योंकि इससे जीवन के कष्टों और पापों से मुक्ति मिलती है. भक्त उपवास भी रखते हैं और शिव की पूजा करते हैं और मंदिरों में भगवान के लिए विशेष पूजा का आयोजन करते हैं.
पवित्र नदी गंगा में स्नान करना प्रत्येक माह में ही शुभ होता है ओर यह शुक्ल पक्ष के समय पर अत्यंत ही महत्व रखता है जब चंद्रमा अपनी वृद्धि को पाता है. गंगा स्नान प्रातःकाल से प्रारंभ होता है. लोग भगवान विष्णु को फूल और प्रसाद चढ़ाकर उनकी पूजा भी करते हैं.
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इस समय पर आने वाली हर तिथि विशेष होती है. प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक विशेष अनुष्ठान भी होते हैं. पूर्णिमा या एकादशी से जुड़ी कथाएं जो विष्णु भगवान के जागरण का प्रतीक है. यह गर्म समय होता है अत: इस समय पर निर्जला एकादशी का पर्व विशेष पुण्य दायक होता है जो समस्त लोगों को जल दान के महत्व को बताता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अपार सौभाग्य और आशीर्वाद मिलता है. अनुष्ठानों और परंपराओं का पालन करना और पवित्र गंगा स्नान करना भाग्य, सफलता, कर्म और मोक्ष लाने वाला माना जाता है.
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आने वाले पर्व गंगा स्नान के साथ विशेष संबंध रखते हैं:
विनायक चतुर्थी - 3 जून
भगवान गणेश के भक्त हर महीने चतुर्थी तिथि, शुक्ल पक्ष को मध्याणा के दौरान उपवास रखते हैं और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. इस बार ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी 3 जून को मनाई जाएगी.
महेश नवमी - 9 जून
माहेश्वरी समुदाय ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान शिव को समर्पित महेश नवमी मनाता है.
गंगा दशहरा - 9 जून
ज्येष्ठ की दशमी तिथि, शुक्ल पक्ष, पृथ्वी पर शक्तिशाली गंगा नदी के अवतरण का प्रतीक है. इसलिए इस दिन को गंगावतरण के नाम से भी जाना जाता है.
गायत्री जयंती - 11 जून
गायत्री, वेदों की देवी या माता, एकादशी तिथि, ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष को अस्तित्व में आईं. इसलिए इस दिन को गायत्री जयंती के रूप में जाना जाता है.
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निर्जला एकादशी - 11 जून
भगवान विष्णु के भक्त एकादशी तिथि, ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष पर निर्जला एकादशी व्रत का पालन करते हैं. भक्त इस दिन पानी तक पीने से परहेज करते हैं. इसलिए नाम निर्जला एकादशी व्रत.
वैकासी विशाकम - 12 जून
भक्त वैकाशी के महीने में भगवान मुरुगन जिन्हें स्कंद, कार्तिकेय, सुब्रमण्यम इत्यादि नामों से भी जाना जाता है की जयंती वैकासी विशाकम मनाते हैं, जब विशाख नक्षत्र प्रबल होता है. इस वर्ष यह पर्व 12 जून को मनाया जाएगा.
वट पूर्णिमा व्रत - 14 जून
ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि पर, विवाहित हिंदू महिलाएं विशेष रुप से गुजरात और महाराष्ट्र क्षेत्रों में अपने पति के लिए प्रार्थना करने के लिए एक दिन का उपवास रखती हैं. इस बार वट सावित्री व्रत 14 जून को मनाया जाएगा.
कबीरदास जयंती - 14 जून
प्रसिद्ध कवि, दार्शनिक और संत कबीर दास का जन्म ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था. इस साल कबीरदास जयंती 14 जून को मनाई जाएगी.
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