रवि पुष्य योग में मनाई जाएगी गंगा सप्तमी
गंगा सप्तमी हिंदुओं के लिए एक शुभ दिन है जिसे देवी गंगा के पृथ्वी पर आगमन के सम्मान में मनाया जाता है. इस वर्ष गंगा जयंती गंगा सप्तमी 08 मई रविवार को मनाई जाएगी. गंगा सप्तमी के दिन रविपुष्य योग का निर्माण हो रहा है जिसके कारण ये अत्यंत ही शुभ समय होगा.
इस दिवस को 'गंगा जयंती' या 'गंगा पूजन' के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि हिंदू किंवदंतियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि देवी गंगा ने इस दिन पृथ्वी पर पुनर्जन्म लिया था. गंगा सप्तमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है. गंगा सप्तमी पर अधिकांश हिंदू तीर्थ स्थानों में जहां गंगा नदी गुजरती है, जैसे इलाहाबाद और ऋषिकेश में त्रिवेणी संगम, भक्तों द्वारा विशेष पूजा और प्रार्थना की जाती है. यह भारत के उत्तरी राज्यों में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाई जाती है.
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गंगा सप्तमी पर महत्वपूर्ण पूजा समय
गंगा सप्तमी पूजा के लिए मध्याह्न काल पूजा का समय 08 मई 11:05 पूर्वाह्न - 08 मई, 1:41 अपराह्न
सप्तमी तिथि 07 मई, 2022 दोपहर 2:57 बजे शुरू होगी
सप्तमी तिथि समाप्त 08 मई, 2022 शाम 5:00 बजे
गंगा सप्तमी के दौरान पूजन
गंगा सप्तमी के दिन, भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं और पवित्र गंगा में डुबकी लगाते हैं. इस दिन मां गंगा की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. गंगा नदी के पूजन में गंगा आरती करते हैं. कई घाटों पर 'गंगा आरती' की तैयारी की जाती है और इस आयोजन में देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं. गंगा सप्तमी के दिन दीपदान करने वाली रस्म बहुत ही शुभदायक होती है. हिंदू धर्म में गंगा को देवी माँ के समान माना जाता है. सभी लोग जीवन में प्रसिद्धि और मोक्ष हेतु पूर्ण समर्पण और भक्ति के साथ देवी गंगा की पूजा करते हैं. गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी के किनारे विशाल मेलों का भी आयोजन किया जाता है. इस दिन गंगा सहस्रनाम स्तोत्रम और गायत्री मंत्र का जाप करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
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गंगा सप्तमी कथा का महत्व
गंगा सप्तमी की कथा और महत्व को पुराणों में विस्तार रुप से दर्शाया गया है. हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी गंगा पहली बार 'गंगा दशहरा' के दिन पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं. हालाँकि एक बार ऋषि जाह्नु ने गंगा का पानी पिया और देवताओं और राजा भगीरथ से विनती करने के बाद ही उन्होंने वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी को एक बार फिर गंगा को छोड़ दिया. तब से यह दिन देवी गंगा के पुनर्जन्म का प्रतीक है और इसे 'जहनु सप्तमी' भी कहा जाता है. ऋषि जाह्नु की पुत्री होने के कारण देवी गंगा को जाह्नवी भी कहा जाता है.
गंगा नदी को भारत में बहुत पवित्र माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी में पवित्र स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं. इसके अलावा ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जो व्यक्ति 'मंगल' के प्रभाव में हैं, उन्हें गंगा सप्तमी पर देवी गंगा की पूजा करनी चाहिए.
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