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क्या है गणेश चतुर्थी का इतिहास
शिवपुराण के अनुसार, माता पार्वती ने अपने मैल से एक पुतला बनाकर जीवित किया और उनसे कहा कि वे स्नान करने जा रही हैं किसी को भी अंदर प्रवेश मत करने देना लेकिन संयोग ऐसा हुआ कि उसी समय भगवान शिव वहां आ गए और कहासुनी के बाद शिव जी इतना क्रोधित हो गए कि उन्होंने त्रिशूल से गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब माता पार्वती वहां आईं तो इस घटना का पता चलने पर वो बहुत नाराज़ हो गईं। उन्होंने शिव जी से पुत्र को जीवित करने के लिए कहा, ऐसी स्थिति में शिव जी ने गणेश जी के शरीर पर हाथी का सिर लगा कर उनको जीवित कर दिया। यह दिन गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भारत ही नही कई देशों में ये धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को धूम धाम से मनाया जाना जरूरी है।
क्या है गणेश चतुर्थी का महत्च
हिन्दू धर्म मे भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहते हैं, जो गणेश जी की पूजा श्रद्धा से करता है भगवान उसके विघ्न हर लेते हैं।
गणेश चतुर्थी व्रत रखने एवं गणेश जी की पूजा करने से बिगड़े काम बन जाते हैं। गणेश जी बुद्धि के देवता हैं, ऐसा माना जाता है कि प्राचीनकाल में बच्चों का विद्या अध्ययन आज के दिन से आरम्भ होता था। लोकभाषा में इसे डंडा चौथ भी कहा जाता है। इस दिन ब्रह्मुहूर्त में उठें, व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा सामग्री एवं मोदक के साथ गणेश की पूजा करें। दूर्वा अर्पित करें, मोदक का भोग लगाएं। पूजा के समापन में गणेश जी की आरती करें। प्रसाद का वितरण करें। दान पुण्य का कार्य करें। इस दिन चंद्र दर्शन ना करें, माना जाता है ऐसा करने से मिथ्या कलंक लगता है। भगवान कृष्ण की एक ऐसी मिथ्या कलंक की कहानी का शास्त्रों में वर्णन है। भगवान कृष्ण ने भी इस दोष से मुक्त होने के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत किया और इससे मुक्त हुए। इसकी पीछे की वजह गणेश जी के रूप का उपहास बनाने पर चंद्रदेव को गणेश जी द्वारा दिया गया श्राप बताया जाता है।
गणेश जन्मोत्सव एक धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है, मुम्बई में इस त्योहार की तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती है और पूरा त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वहीं देश के सभी राज्यों में ये त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का मुख्य मंत्र -
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः निर्विघ्नं कुरु मे देवः सर्वकार्येषु सर्वदा
इस मंत्र का जाप करने से आपको मन की शांति तो मिलेगी ही, इसके साथ साथ भगवान गणेश भी आपके घर और कारोबार पर अपनी घोर कृपा बनाएं रखेंगे | इस मंत्र को गणेश चतुर्थी पर स्मरण करने से भगवान गणेश की कृपा बढ़ती है और वे हमेशा आपके साथ रहते हैं।
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