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Ganesh Chaturthi 2022: श्री गणेश चतुर्थी व्रत से दूर होंगे सभी कष्ट और मिलेगा सफलता का वरदान

MyJyotish Expert Updated 02 Jun 2022 10:12 AM IST
श्री गणेश चतुर्थी व्रत से दूर होंगे सभी कष्ट और मिलेगा सफलता का वरदान
श्री गणेश चतुर्थी व्रत से दूर होंगे सभी कष्ट और मिलेगा सफलता का वरदान - फोटो : google photo
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श्री गणेश चतुर्थी व्रत से दूर होंगे सभी कष्ट और मिलेगा सफलता का वरदान  


हिंदू पंचांग अनुसार हर माह के दौरान शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. यह विनायक और संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. शुक पक्ष एवं कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश जी के पूजन हेतु शुभ मानी जाती है. गणेश चतुर्थी का उत्सव भारत के उत्तरी और दक्षिणी दोनों राज्यों में प्रचलित है. महाराष्ट्र राज्य में, उत्सव और भी विस्तृत और भव्य रुप से देखने को मिलता है. इस शुभ दिन पर भक्त जीवन में सभी बाधाओं को दूर करने और हर कठिन परिस्थिति में विजयी पाने हेतु भगवान श्री गणेश का पूजन करते हैं.  

गणेश चतुर्थी से संबंधित अनेक कथाएं प्रचलित हैं. धर्म ग्रंथों के अनुसार गणेश के जन्म के बारे में कई अलग-अलग कहानियां बताई जाती हैं, जिनमें से एक में देवी पार्वती अपने बेटे को कपड़े के टुकड़े से बनाती है और भगवान शिव से उसे जीवित करने के लिए कहती है. सबसे प्रसिद्ध कथाओं में से एक, पार्वती जी के स्नान से संबंधित है जिसमें देवी पार्वती जीं श्री गणेश का निर्माण अपने शरीर के उबटन से करती हैं. गणेश की पूजा जीवन से निकटता से जुड़ी हुई है. श्री गणेश को सफलता का देवता माना जाता है, जो अपने भक्तों के मार्ग की बाधाओं को दूर करके उन्हें शुभता का आशीर्वाद देते हैं इसलिए, 'विघ्नहर्ता' गणेश के लोकप्रिय नामों में से एक है और इसका अर्थ बाधाओं का नाश करने वाले देव के रूप में किया जाता है.

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संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा 

संकष्टी चतुर्थी के दिन, भक्त जल्दी उठते हैं और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. भगवान श्री गणेश जी हेतु व्रत-उपवास रखते हैं. कुछ लोग आंशिक उपवास भी रख सकते हैं. इस व्रत का पालन करने वाले फल एवं दूध से बने पदार्थ का सेवन करते हैं. पूजा शाम को की जाती है. भगवान गणेश की मूर्ति को दूर्वा घास और ताजे फूलों से सजाया गया है. इस दौरान दीपक भी जलाया जाता है. अन्य सामान्य पूजा अनुष्ठान जैसे धूप जलाना और वैदिक मंत्रों का पाठ भी किया जाता है. इसके बाद भक्तों ने महीने के लिए विशिष्ट 'व्रत कथा' का पाठ किया. शाम को भगवान गणेश की पूजा करने और चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है.

मोदक का भोग भगवान गणेश जी को विशेष 'नैवेद्य' प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है. चतुर्थी के दिन, विशेष पूजा अनुष्ठान भी होते हैं चंद्रमा का पूजन होता है.  चंद्रमा की दिशा में जल, चंदन का लेप, पवित्र चावल और फूल अर्पित किए जाते हैं. इस दिन गणेश अष्टोत्र, संकष्टनाशन स्तोत्र का पाठ करना शुभ होता है. इसके साथ ही भगवान गणेश को समर्पित किसी भी अन्य वैदिक मंत्रों का जाप किया जा सकता है.

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श्री गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी के पावन दिन का विशेष महत्व है. भगवान गणेश के भक्तों का मानना है कि चतुर्थी के दिन श्री गणेश पूजा करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. समृद्धशाली जीवन भी प्राप्त होता है. निःसंतान दंपत्ति भी संतान की प्राप्ति के लिए चतुर्थी का व्रत करते हैं.चतुर्थी हर चंद्र महीने में मनाई जाती है, इसलिए प्रत्येक महीने में भगवान गणेश की पूजा अलग-अलग नाम से की जाती है. प्रत्येक व्रत का एक विशिष्ट उद्देश्य और कहानी है, जिसे 'व्रत कथा' के रूप में जाना जाता है.
 

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