पांच दिनों तक मनाई जाने वाली दीपावली पर्व के हर दिन से जुड़ी कुछ विशेष मान्यताएं हैं, जो इस महापर्व को बेहद खास बनाती हैं। जानिए पांच दिवसीय इस दीप पर्व से जुड़ी प्रचलित मान्यताएं...
1 धन तेरस - धन तेरस यानि दीपावली से दो दिन पहले से इस दीप पर्व की शुरुआत हो जाती है। धन तेरस को धन, समृद्धि और खुशहाली से जोड़कर देखा जाता है। धन तेरस को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे और उनके साथ आभूषण व बहुमूल्य रत्न भी समुद्र मंथन से प्राप्त हुए थे। तभी से इस दिन का नाम धन्वंतरि के नाम के अनुसार, धन तेरस पड़ा और इस दिन बर्तन, धातु व आभूषण खरीदने की परंपरा शुरु हुई। इस दिन धन के देवता कुबेर की भी पूजा होती है, और उनके नाम के दीये जलाकर घर के आंगन और विभिन्न स्थानों पर सजाए जाते हैं।
2 रूप चतुर्दशी- रूप चतुर्दशी को रूप चौदस या नरक चौदस भी कहा जाता है। इस दिन को लेकर मान्यता है, कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन एवं स्नान करने से समस्प पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही यह भी माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन सूर्योदय के पश्चात स्नान करता है, उसके वर्ष भर के पुण्य नष्ट हो जाते हैं और वह पाप का भागी बन, नरक में जाता है। यही कारण है कि इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है। वहीं इस दिन से एक ओर मान्यता जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार इस दिन उबटन करने से रूप व सौंदर्य में वृद्धि होती है।
3 दीपावली - दीपावली यानि लक्ष्मी पूजन का दिन। दीपावली का पर्व विशेष रूप से मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है। कार्तिक माह की अमावस्या को ही समुद्र मंथ से मां लक्ष्मी प्रकट हुईं थी, जिन्हें धन, वैभव ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। अत: इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं ताकि अमावस्या की रात के अंधकार में दीपों से वातावरण रोशन हो जाए। मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और उनसे धन-समृद्धि के रूप में घर में वास करने का आग्रह किया जाता है।
4 गोवर्धन पूजा - गोवर्धन पूजा, दीपावली के दूसरे दिन की जाती है। इस दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं और उनका पूजन कर पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन को लेकर मान्यता है, कि त्रेता युग में जब इंद्र देव ने गोकुलवासियों से नाराज होकर मूसलाधान बारिश शुरु कर दी, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांव वासियों को गोवर्धन की छांव में सुरक्षित किया। तभी से इस दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा चली आ रही है।
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5 भाई दूज - भाई दूज, पांच दिवसीय दीपावली महापर्व का अंतिम दिन होता है। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने और भाई की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है। इस बहन भाई दूज का पूजन कर अपने भाई को तिलक कर उसे भोजन कराती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुना जी से मिलने के लिए उनके घर आए थे और यमुना जी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया एवं यह वचन लिया कि इस दिन हर साल वे अपनी बहन के घर भोजन के लिए पधारेंगे। साथ ही जो बहन इस दिन अपने भाई को आमंत्रित कर तिलक करके भोजन कराएगी, उसके भाई की उम्र लंबी होगी। तभी से भाई दूज पर यह परंपरा बन गई।
शुभ मुहूर्त
धनतेरस: 13 नवंबर 2020
छोटी और बड़ी दिवाली: 14 नवंबर 2020
गोवर्धन पूजा: 15 नवंबर 2020
भाई दूज: 16 नवंबर 2020
लक्ष्मी पूजा 2020: सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से शाम 7:24 तक।
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 14 नवंबर की शाम 5:49 से 6:02 बजे तक।
प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:33 से रात्रि 8:12 तक।
वृषभ काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से रात्रि 7:24 तक।
दीपावली पर गुरु ग्रह अपनी राशि धनु में और शनि अपनी राशि मकर में रहेगा। शुक्र ग्रह कन्या राशि में नीच का रहेगा। दीपावली पर इन तीन बड़े ग्रहों का ये दुर्लभ योग 499 साल बाद बन रहा है।2020 से पहले 1521 में गुरु, शुक्र और शनि का ये योग बना था। उस समय 9 नवंबर को दीपावली मनाई गई थी। गुरु और शनि व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाले कारक ग्रह माने जाते हैं। ये दो ग्रह दीपावली पर अपनी राशि में होने से धन संबंधी कामों में कोई बड़ी उपलब्धि मिलने का समय रहेगा।
दीपावली से जुड़ी 10 प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं
हम लोग दीपावली मनाने का कारण राम के 14 वर्ष का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटने व समुद्र मंथन द्वारा लक्ष्मी के प्राकट्य को मानते हैं। लेकिन इनके अलावा शास्त्रों के अनुसार दीपावली का यह त्योहार युगों की अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का भी साक्षी रहा है। जानिए दीपावली से जुड़ी 10 प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं -
1. लक्ष्मी अवतरण - कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मां लक्ष्मी समुद्र मंथन द्वारा धरती पर प्रकट हुई थीं। दीपावली के त्योहार को मनाने का सबसे खास कारण यही है। इस पर्व को मां लक्ष्मी के स्वागत के रूप में मनाते हैं और हर घर को सजाया संवारा जाता है ताकि मां का आगमन हो।
2. भगवान विष्णु द्वारा लक्ष्मी जी को बचाना - इस घटना का उल्लेख हमारे शास्त्रों में मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से माता लक्ष्मी को मुक्त करवाया था।
3. भगवान राम की विजय - रामायण के अनुसार इस दिन जब भगवान राम, सीताजी और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापिस लौटे थे। उनके स्वागत में पूरी अयोध्या को दीप जलाकर रौशन किया गया था।
4 नरकासुर वध - भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16000 स्त्रियों को इसी दिन मुक्त करवाया था। इसी खुशी में दीपावली का त्यौहार दो दिन तक मनाया गया और इसे विजय पर्व के नाम से जाना गया।
5 पांडवों की वापसी - महाभारत के अनुसार जब कौरव और पांडव के बीच होने वाले चौसर के खेल में पांडव हार गए, तो उन्हें 12 वर्ष का अज्ञात वास दिया गया था। पांचों पांडव अपना 12 साल का वनवास समाप्त कर इसी दिन वापस लौटे थे। उनके लौटने की खुशी में दीप जलाकर खुशी के साथ दीपावली मनाई गई थी।
6. विक्रमादित्य का राजतिलक - राजा विक्रमादित्य के राजतिलक का प्रसंग भी इसी दिन से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य का राजतिलक इस दिन किया गया था, जिससे दिवाली का महत्व और खुशियों दुगुनी हो गईं।
7. आर्य समाज - स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की गई थी। इस कारण भी दीपावली का त्योहार विशेष महत्व रखता है।
8. जैन धर्म - दीपावली का दिन जैन संप्रदाय के लोगों के लिए भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। जैन धर्म इस पर्व को भगवान महावीर जी के मोक्षदिवस के रूप में मनाता है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
9. सिख धर्म - सिख धर्म के लिए भी दीपावली बहुत महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन को सिख धर्म के तीसरे गुरु अमरदास जी ने लाल पत्र दिवस के रूप में मनाया था जिसमें सभी श्रद्धालु गुरु से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। इसके अलावा सन् 1577 में अमृतसर के हरिमंदिर साहिब का शिलान्यास भी दीपावली के दिन ही किया गया था।
10 गुरु हरगोबिन्द जी - सन् 1619 में सिक्ख गुरु हरगोबिन्द जी को ग्वालियर के किले में 52 राजाओं के साथ मुक्त किया जाना भी इस दिन की प्रमुख ऐतिहासिक घटना रही है। इसलिए इस पर्व को सिक्ख समाज बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाता हैं। इन राजाओं व हरगोबिंद सिंह जी को मुगल बादशाह जहांगीर ने नजरबंंद किया हुआ था।
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इस दिवाली क्या करें या क्या ना करें
- झाडू का उपयोग : दीपावली की रात झाडू को घर की छत पर खुले में नहीं रखें। इससे चोरी की आशंका बढ़ती है। वैसे भी झाडू को छत पर नहीं रखना चाहिए। दीपावली के दिन झाडू अवश्य खरीदना चाहिए। पूरे घर की सफाई नई झाडू से करें। जब झाड़ू का काम न हो तो उसे छिपाकर रखना चाहिए। दीवाली के दिन किसी मंदिर में झाड़ू का दान करें। यदि आपके घर के आसपास कहीं महालक्ष्मी का मंदिर हो तो वहां गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें।
- गृहलक्ष्मी का सम्मान करें : घर की गृहलक्ष्मी यानी पत्नी को अपशब्द कहकर उनके मन को चोट नहीं पहुंचाएं। दीपावली के दिन भूलकर भी अपनी पत्नी या किसी अन्य स्त्री के साथ सहवास न करें और न ही मन में किसी प्रकार की कोई काम-भावना ही आने दें। मां, बेटी और बहनों को भी दीपावली के दिन बुरा भला नहीं कहना चाहिए। इससे लक्ष्मी नाराज होती हैं और धन का नुकसान होता है। अत: इस दिन को उन्हें हर तरह से खुश रखते हुए उनकी हर मांग पूरी करना चाहिए।
- दीपावली पर दान : दीपावली की शाम में लक्ष्मी पूजन से पहले सूर्यास्त के समय किसी बाहरी व्यक्ति को कुछ भी नहीं देना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। हालांकि दीपावली के दिन कोई भीखारी भिक्षा मांगने आए तो उसे खाली हाथ न जाने दें। कुछ न कुछ दान में जरूर दें।
- देर से उठना : कुछ लोगों की देर से उठने की आदत है। कम से कम दीपावली के दिन तो सूर्योदय से पूर्व उठें। सुबह देर तक सोने से माता लक्ष्मी अप्रसन्न हो जाती है और फिर पूरे वर्ष धन की समस्या बनी रहती है। इसीलिए दीपावली के पांचों दिन जल्दी उठने का प्रयास करें। इसी तरह सूर्यास्त के समय अर्थात धरधरी के वक्त सोएं नहीं। इस समय यदि आप सोते मिले तो लक्ष्मी दरवाजे से ही वापस लौट जाएगी।
- नशा ना करें : आजकल नशे का प्रचलन बड़ गया है। बहुत से लोग अब दीपावली के दिन भी थोड़ी थोड़ी लगाने लगे है, जो कि बिल्कुल ही अनुचित ही नहीं घोर पाप के समान है। जो लोग ऐसा करते हैं वे सदैव दरिद्र ही बने रहते हैं और उनके घरों में दुख दर्द का प्रवेश हो जाता है। इससे घर की पवित्रता नष्ट हो जाती है। गृह कलेश बढ़ जाता है। नशे वाले घरों में स्त्रियां सदा दुखी रहती है। कई स्थानों पर दीपावली की रात्रि जुआ खेलने की प्रथा है। इस बारे में कोई भी तर्क हो, लेकिन अगर आप मां लक्ष्मी की कृपा अपने घर में बनाए रखना चाहते हैं तो दीपावली के दिन कभी भी जुआ न खेलें।
- लड़ाई-झगड़ा या गुस्सा : इस दिन किसी से भी लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए। कुछ लोग होते हैं जो झगड़ालु स्वभाव के होते हैं और कुछ लोगों की बात-बात पर बहस या गुस्सा करने की आदत होती है। अत: किसी भी प्रकार की बहस या गुस्सा न करें। इस दिन तेज आवाज में चिल्लाना भी नहीं चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। बड़ों का आदर और सम्मान करें। जिस घर में शांति रहती है वहीं लक्ष्मी रहती है।
- घर में गंदगी न रखें : वैसे तो सभी लोग इस दिन घरों की साफ-सफाई करते हैं। लेकिन घर के कुछ सदस्य ऐसे होते हैं जो इधर उधर गंदगी फैलाते रहते हैं। वे साफ सफाई का ध्यान नहीं रखते हैं। इस दिन घर में इत्र का भी छिड़काव करना चाहिए जिससे घर में किसी भी प्रकार की बदबू न आएं। घर के कुछ सदस्य तो न ढंग से नहाते हैं और न ही शरीर के अन्य अंग साफ रखते हैं। उनके जूते या चप्पल भी बहुत गंदे होते हैं जिससे घर में गंदगी फैलती है।
- तांत्रिक कर्म न करें : दीपावली का दिन महालक्ष्मी का प्रसन्न करने के दिन होता है। इस दिन अमावस्या होने के कारण कुछ लोग इस दिन महाघोर कर्म करते हैं जिसे तांत्रिक कर्म भी कहते हैं। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए कुछ लोग उल्लू का उपयोग करते हैं, कुछ लोग तांत्रिक किस्म के टोने टोटके करते हैं तो कुछ लोग तांत्रिक यज्ञ या हवन करते हैं जो कि अनुचित है। कोल या वाम संप्रदाय से संबंधित इस तरह के कर्म करने से लक्ष्मी हमेशा हमेशा के लिए रूठ कर चली जाती है। अत: शुद्ध और सात्विक पूजा और भक्ति का ही सहारा लें।
दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के लिए बिना स्नान किए फूल न तोड़ें, ऐसा करने से माता लक्ष्मी आपसे रूष्ट हो सकती हैं अत: स्नान करने के पश्चात स्वच्छ धुले वस्त्र पहनकर ही फूल-पत्ती तोड़ें। दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में ताजे फूलों का प्रयोग करें, मां लक्ष्मी को बासी फूल या घर के फ्रिज में रखें एक दिन पूर्व के फूल न चढ़ाएं।
दीपावली के 5 दिवसीय त्योहार में हर किसी का बजट गड़बड़ा सकता है, ऐसे समय में अपने मन को शांत रखकर त्योहार की खुशी मनाएं । इस दिन किसी से भी झगड़ा न करें।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के साथ-साथ घर के बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना अतिआवश्यक है अत: इस दिन जाने-अनजाने में भी किसी बुजुर्ग का अपमान न करें।
माना जाता है कि दीपावली की रात घर में मां लक्ष्मीजी का आगमन होता है, ऐसे में मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए हमें दीपावली की रात सोना नहीं चाहिए बल्कि रात्रि जागरण करके मां लक्ष्मी की स्तुति करनी चाहिए व लक्ष्मी चालीसा, मंत्र, लक्ष्मी सूक्त आदि का पाठ एवं जप करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
दीपावली पर उपहार देने-लेने का चलन है अत: इस दिन किसी को भी भेंट देते समय भेदभाव न रखें। अगर आप भेंट देते समय मन में अच्छे भाव नहीं रखेंगे तो मां लक्ष्मी आपसे रूष्ट हो जाएंगी और फिर आप मां लक्ष्मी के कोपभाजन से बच नहीं पाएंगे।
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