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जानें रक्षा बंधन और भाई दूज के बीच क्या है अंतर

My jyotish expert Updated 15 Aug 2021 06:07 PM IST
रक्षा बंधन और भाई दूज अंतर
रक्षा बंधन और भाई दूज अंतर - फोटो : Google
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हिंदू धर्म में रक्षा बंधन और भाई दूज दोनों ही त्यौहारों का बहुत महत्व होता है। ये दोनों ही दिन भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित होते हैं। रक्षा बंधन और भाई दूज दोनों का अपना विशेष महत्व होता है। श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को रक्षा बंधन के रूप में मनाया जाता है। वहीं दूसरी ओर भाई दूज का त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। जैसे रक्षा बंधन के साथ श्रावण मास का अंत होता है वैसे ही भाई दूज के साथ दीवाली के पांच दिनों का अंत होता है। ऐसे तो दोनों ही त्यौहार भाई बहन के प्यार से जुड़ा हुआ है अपितु दोनों में कुछ अंतर है। तो आइए आज हम आपको बताते हैं इन दोनों त्यौहारों के बीच क्या अंतर है।

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  • ऐसा माना जाता है कि रक्षा बंधन की शुरुआत इंद्र देव, राजा बली तथा भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा हुई थी। वहीं दूसरी ओर भाई दूज की शुरआत यमराज द्वारा हुई थी और यही कारण है कि भाई दूज के त्यौहार को यम द्वितीया के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
  • इसी आधार पर रक्षा बंधन के दिन लोग राजा बली की कथा सुनते हैं और भाई दूज के दिन लोग यमराज और यमुना से संबंधित कथा सुनते हैं।
  • भाई दूज का त्यौहार भारत के हर राज्य हर शहर में बड़ी उत्साह के साथ मनाया जाता है। अगर रक्षा बंधन की बात करें तो ये भारत के सिर्फ कुछ ही राज्यों और प्रांथों में मनाया जाता है।
  • रक्षा बंधन के दिन बहनें अपनी भाई की कलाई पर राखी के रूप में पवित्र धागा बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को सदैव उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। भाई दूज पर ऐसी किसी परंपरा का पालन नहीं किया जाता है।
  • जिस भांति रक्षा बंधन में रक्षा सूत्र बांधने की प्रथा है ठीक उसी प्रकार भाई दूज में भाई को भोजन खिलाने की प्रथा है। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को भोजन करवाती हैं। इसी कारण से संस्कृत में भाई दूज को भागीनी हस्ता भोजना के नाम से जाना जाता है।
  • आमतौर पर यदि बहन विवाहित हो तो वो अपने भाई के घर जाकर रक्षा बंधन मानती है अपितु भाई दूज में उसका भाई उसके घर जाकर भाई दूज मनाता है।
  • भाई दूज के दी यमराज और यमुना नदी की पूजा की जाती है। यदि भाई दूज के दिन भाई और बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं तो उन्हें यमलोक में यमराज द्वारा कोई पीड़ा नहीं मिलती। रक्षा बंधन के दिन ऐसी कोई मान्यता नहीं है।
  • रक्षा बंधन पर भाई की कलाई पर राखी बांधने के पश्चात बहनें अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं। भाई दूज की बात करें तो इस दिन बहनें अपने भाई को भोजन खिलाने के बाद पान खाने को देती हैं। ऐसी मान्यता है कि भाई दूज के दिन यदि बहन अपने भाई को पान खिलाती हैं तो उन्हें पुण्य मिलता है और भाग्य उनके हित में आता है।
  • श्रावण मास की पूर्णिमा को कई प्रांथों में रक्षा बंधन के रूप में नहीं मनाया जाता है। जैसे कर्नाटक में इस दिन को नारियल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। भाई दूज का नाम विभिन्न प्रांथों में अलग-अलग है मगर वो हर रूप में भाई और बहन के रिश्ते से संबंधित है।
  • जैसा कि हमने बताया की भाई दूज को अलग-अलग प्रांथों में अलग-अलग नाम से जानते हैं। बंगाल में इसे भाई फोटो कहकर संबोधित करते हैं, महाराष्ट्र में इसे भाऊ बीज के नाम से जाना जाता है, कर्नाटक में सौदरा बिदिगे और गुजरात में इसे भौ अथवा भै-बीज के नाम से बुलाते हैं। मिथिला में इसे यम द्वितीया के नाम से ही संबोधित किया जाता है। भारत की भूमि के बाहर नेपाल की बात करें तो वहां भी ये त्यौहार भाई टीका कहकर मनाया जाता है। 
विधि विधान से मनाएं रक्षाबंधन का त्यौहार, बढ़ेंगे भाई बहन के रिश्तो में प्यार।

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