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भूलकर भी न करें गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन, सहनी पड़ सकती हैं विकट समस्याएं

My jyotish expert Updated 18 Sep 2021 04:42 PM IST
गणेश चतुर्थी चंद्र दर्शन
गणेश चतुर्थी चंद्र दर्शन - फोटो : google
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार ये बतलाया जाता है कि भाद्रपद के महीने में आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन ही भगवान श्री गणेश उत्सव की शुरुआत हुई थी । जिसके चलते भक्तजन अगले 10 दिनों तक श्री गणेश का उत्सव मना रहे होते हैं । भक्तजन भगवान श्री गणेश जी का खूब धूम - धाम से , पूरे जोश से , ढोल और नगाड़ों के साथ , पूरी श्रद्धा के साथ उनका स्वागत करते हैं और अगले 10 दिनों तक होने वाली हर कार्य का विधिपूर्वक पालन कर श्री गणेश उत्सव को सफलतापूर्वक पूर्ण करते हैं । हिंदू पंचांग के अनुसार ज्योतिषाचार्य ये बताते हैं कि श्री गणेश उत्सव भगवान गणेश जी के जन्मदिन के उपलब्धि पर कई सालों से मनाया जाता है और मान्यता यह बताई जाती है कि इस चतुर्थी तिथि के दिन है भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था । वैसे तो साल का कोई भी चतुर्थी तिथि का दिन भगवान श्री गणेश को ही समर्पित किया जाता है ।  लेकिन इन तिथियों पर चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही भक्तजन अपना व्रत खोलते हैं पर भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा देखना हिंदू पंचांग के अनुसार वर्जित माना जाता हैं । इसीलिए इस चतुर्थी तिथि को ज्यादा महत्व दिया जाता है । ज्योतिषाचार्य ये बताते हैं कि इस दिन भूलकर भी भक्तजनों को चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए वरना उन्हें चोरी का झूठा आरोप सहना पड़ जाता है । इसी कारण ही गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है व ये भी कहा जाता है कि कलंक चतुर्थी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण भी खुद को नहीं बचा पाए थे । क्योंकि उन्होंने इस दिन चंद्र के दर्शन कर लिए थे जिसका प्रभाव उन पर देखा गया था । जिसके चलते ही भगवान श्री कृष्ण के ऊपर स्यमनतक मणि चुराने का झूठा आरोप उनको सहना पड़ा था । आइए अब आपको बताते हैं इस किस्से से जुड़ी पूरी जानकारी के बारे में : -

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क्या बताई जाती है पौराणिक कथा :

कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका नगरी में रहने वाले निवासी सत्राजित यादव जी ने सूर्य नारायण की उपासना कर उनसे स्यमनतक नामक मणि को प्राप्त किया था और ऐसा बताया जाता है कि ये मणि पूरे दिन में ही लगभग - लगभग 8 बार सोना देने में सक्षम मानी जाती थीं । फिर सत्राजित जी ने ये फैसला किया कि वो इस मणि को लेकर भगवान श्री कृष्ण के दरबार में जाएंगे । इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने इस मणि को राजकोष में जमा करने का आदेश दिया ताकि कोई भी व्यक्ति इस मणिका दुरुपयोग नहीं कर सके ।

किंतु सत्राजित जी ने उन्हें इस मणि को राजकोष में जमा करने से इंकार कर दिया था और इस मणि की हिफाजत के लिए उन्होंने अपने भाई प्रसेनजीत को चुनने का निर्णय लिया । आगे चलकर कुछ ऐसा हुआ कि प्रसेनजीत जी को एक शेर ने मार डाला और उस शेर ने उस मणि को चुरा लिया । इसके बाद रीछों के राजा जामवंत जी ने उस शेर को मार कर उस मणि को हासिल कर लिया और उसे अपने महल की गुफा में छुपा दिया ।

जब प्रसेनजीत जी के वापस नहीं लौटने का सत्राजित को खयाल आया और और बाद में उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के ऊपर मणि को चुराने और साथ ही साथ उनके भाई  प्रसेनजीत जी को मारने का आरोप उन पर लगाया । कहा जाता है कि जिस दिन भगवान श्री कृष्ण के ऊपर ये आरोप लगा था , उस दिन श्री गणेश चतुर्थी थी और उन्होंने भूलवश ही चंद्रमा के दर्शन कर लिए थे ।

इस आरोप से मुक्ति पाने के लिए नारद जी ने भगवान श्रीकृष्ण को चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा व्रत करने का सुझाव बताया इसके बाद ही भगवान श्री कृष्ण ने वन में जाकर प्रसेनजीत जी को ढूंढना शुरू कर दिया वहां उन्होंने जामवंत की पुत्री जामवती के पास उस मणि को देखा और इस मणि की मांग की । लेकिन जामवंती ने इस मनी को देने से भगवान श्री कृष्ण को इनकार कर दिया था ।

तब भगवान श्री कृष्ण और जामवंत के बीच 21 दिनों का घमासान युद्ध हुआ था । जब जामवंत ने भगवान श्री कृष्ण को पराजित नहीं किया तो उन्हें ये एहसास हो गया कि भगवान श्री कृष्ण भगवान का साक्षात अवतार है । इसके बाद से उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा याचना की और अपनी पुत्री जामवंती का विवाह उनके साथ तय करने का निर्णय लिया और साथ ही साथ मणि को नहीं देने का फैसला भी बदल दिया । जब भगवान श्री कृष्ण मणि को वापस लेकर लौटे थे तो सत्राजित को बहुत लज्जा हुई और उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी और अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह भगवान श्री कृष्ण के साथ करवाने का निर्णय लिया ।

क्या है भूलवश से चंद्र दर्शन करने का उपाय :

मान्यता बताई जाती है कि गणेश चतुर्थी के दिन अगर व्यक्ति से भूलवश भी चंद्रमा के दर्शन हो जाए तो उसे झूठे आरोप को अपने सर पर मढ़ना पड़ता हैं । लेकिन हिंदू पंचांग में इसका कुछ उपाय भी बताया गया है । जैसे कि अगर भूलवश किसी भी व्यक्ति से चंद्रमा के दर्शन हो जाते हैं तो उसे फौरन ही पांच पत्थरों को लेकर किसी दूसरे की घर की छत पर फेंक देना चाहिए । इससे उस व्यक्ति पर लगे चंद्र दर्शन का दोष फौरन ही खत्म हो जाता है ।

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