इन सात लोगों को माना जाता है पूज्जनीय , इन्हें पैर लगाना होता है पाप
चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य साम्राज्य के महामंत्री थे। इनका दूसरा नाम कौटिल्य भी था।इनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र,राजनीतिशास्त्र,अर्थनीति,समाजनीति,कृषि आदि इनका महा ग्रंथ है।संस्कृति – साहित्य में नीतिपरक ग्रंथो की कोटि में चाणक्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है।इन्होंने ने अपने चाणक्य नीति में जीवन की कठिनाइयो को पार करने का तरीका बताया है।उनकी नीति की जानकारी चाणक्य नीतिशास्त्र में मिलती है।
इन्होंने अपने नीतियों से जीवन को कैसे सुख मय बनाए ये भी बताया है।जीवन को सरल जीने का सार बताया है।चाणक्य अपने नीति में ऐसे सात लोगों के बारे में बताया है जो हमारे जीवन में हमेशा पूज्यनीय होते है और उनको पैर लगाने से पाप का भागी बनाना है।आइए जानते है किस किस को चाणक्य ने बताया है की वो हमारे लिए देव तुल्य है।
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चाणक्य अपने नीति ग्रंथ के सातवें अध्याय के छटवे श्लोक में इन सात लोगों के बारे में बता है जिनका हम कभी भी अपमान नहीं कर सकते है– अग्नि,गाय,गुरु,ब्राह्मण, कुआरीकन्या,वृद्ध और शिशु।
अग्नि देवताओं में अग्नि का स्थान होता है हम कोई भी हवन ,पूजा पाठ करते है तो हम इनकी भी पूजा करते हैं। और चाणक्य ने अपने नीति में बताया है की अगर मनुष्य आग में पैर ले जाता है तो अवश्य ही जल जाता है।उसके बाद उसके जीवन में संकट आ जाता है तो मानव अग्नि से दूर रहें और पैर न लगाए।
गाय पौराणिक कथाओं के अनुसार गाय को माता माना गया है।इनकी हम पूजा करते है।गाय में 33 देवी– देवताओं का वास है। इसलिए गाय को पैर नहीं लगाया जाता है। अगर आप से गलती से ऐसा हो गया तो आप गौ माता से प्रार्थना करें की हम से गलती से हो गया है।मुझे क्षमा करें।
गुरु गुरु हमारे पूरे जीवन को निर्माणकर्ता होता है।वो हमारे पूरे जीवन को सही राह पर लता है। हमें दीक्षा देते समय गलत सही का पाठ पढ़ाता है।हमको अपने गुरु का हमेशा सम्मान करना चाहिए।उनको भूलवश से भी कभी भी अनादर ना करें और ना ही उनको कभी भी पैर लगाए।
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ब्राह्मण ब्राह्मण को देव तुल्य माना गया है(आचरण से)। हर शुभ काम में इनका आगमन होता होता है।इनके आगमन बिना कोई भी शुभ काम सम्पन्न नहीं होता है।इनका कभी भी अपमान ना करें।इनका हमेशा पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
कुआरीकन्या कुआरी कन्न्याओ को मां 9दुर्गा के रूप में लिया जाता है।इनका स्थान देव तुल्य होता है। इसलिए इनको कभी भी पैर नहीं लगाना चाहिए।आप अपने ही घर के नहीं बल्कि हर घर के कन्न्याओं का सम्मान करना चाहिए।
वृद्ध वृद्ध हमारे घर की शोभा है।इनका कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए।इनका हमेशा आशीर्वाद लेना चाहिए क्योंकि इनके आशीर्वाद के बिना हम आगे नहीं बड़ सकते है।इनके आशीर्वाद से बड़ा से बड़ा संकट टल जाता है।
शिशु शिशु अबोध बालक होता है। वह भगवान का स्वरूप माना जाता है।उसका मन भगवान के जैसा निश्चल होता है।वह मन के बहुत प्यारे होते है।उनका मन फूल के जैसे कोमल होता है।
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