अष्टमी तिथि के दिन मिलेगी माँ गौरी की कृपा, करे यह उपाय
आज चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। आज के दिन कई घरों में कन्या पूजन किया जाता है। जिसमें नौ कन्याओं को घर बुलाकर भोजन करवाया जाता है और दक्षिणा या कोई भेंट देकर उन्हें विदा किया जाता है। वहीं जिन लोगों के घरों में नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन होता है वह आज के दिन व्रत रखते हैं। अष्टमी तिथि के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है। आज हम आपको अष्टमी तिथि से जुड़ी कुछ बातें बताएंगे और साथ ही कुछ उपाय बताएंगे जिन्हें करने से जीवन में धन और सुख की प्राप्ति होती है साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
सबसे पहले बात करते हैं आज के दिन किए जाने वाले उपायों की, कहते है अष्टमी और नवमी तिथि पर शनि का प्रभाव रहता है। इस दिन माता की अच्छे से अराधना करने से शनि का प्रभाव कम होता है और माता अपने भक्तों की शनि के प्रभाव से रक्षा करती है।
इस नवरात्रि कराएं कामाख्या बगलामुखी कवच का पाठ व हवन।
यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन से हर प्रकार की परेशानी दूर हो जाए तो आज अष्टमी तिथि के दिन पीपल के 11 पत्ते लें उन पर राम नाम लिखे और उनकी माला बनाकर हनुमानजी को पहना दें। इससे सभी प्रकार की परेशानियां दूर होती है और पूरा वर्ष अच्छा बितता है।
सभी भक्त चाहते हैं कि देवी लक्ष्मी के स्वरूप में माँ दुर्गा उनके घर में हमेशा विराजमान रहे। तो आज के दिन आप पान के पत्ते में गुलाब की सात पंखुड़िया रखकर माँ दुर्गा को अर्पित करें इससे आपके घर में स्थिर लक्ष्मी रहेंगी और आपको कभी भी धन संपदा की कमी नहीं होगी।
नवरात्रि के 9 दिन भक्त अपनी अपनी मनोकामना लेकर व्रत और पूजा पाठ करते हैं। भक्तों को नवरात्रि के 9 दिन माँ दुर्गा की आराधना लाल रंग के कंबल पर बैठकर करनी चाहिए कहते हैं इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
कई जगहों पर संधि पूजन के समय देवी दुर्गा को पशुओं की बलि चढ़ाई जाती थी परंतु अब उसकी जगह कद्दू या लोकी को काटा जाता है। वहीं कई जगहों पर केले और ककड़ी जैसे फल व सब्जी की बलि चढ़ाई जाती है। मान्यता है कि इससे माता गौरी और माता सिद्धिदात्री प्रसन्न होती है। इस दिन संधिकाल में 108 दीपक जलाने से जीवन में छाया अंधकार मिट जाता है।
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यह थे वह उपाय जिन्हें करने से भक्त माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। अब आपको अष्टमी से जुड़ी कुछ बातें बताते हैं
नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन माता महागौरी के साथ साथ माँ काली, दक्षिण काली, भद्रकाली और महा काली की भी आराधना की जाती है। माता महागौरी माँ अन्नपूर्णा का रूप है इस दिन इसलिए कन्याओं को भोजन और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
ईशान दिशा में सभी देवी देवताओं का वास माना गया है और अष्टमी की दिशा भी ईशान है इसलिए इसका महत्व और अधिक हो जाता है। अष्टमी तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख प्रदान करने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है।
इस दिन देवी दुर्गा को नारियल का भोग लगाया जाता है परंतु कहते हैं कि इस दिन भक्तों को नारियल नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे बुद्धि का नाश होता है। कई जगहों पर कद्दू और लौकी का सेवन भी निषेध माना गया है क्योंकि यह माता को बलि के रूप में चढ़ाया जाता है।
देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यश, किन्नर, मनुष्य कोई भी हो सभी अष्टमी और नवमी को ही पूजते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी तिथि को माँ ने चंड मुंड नामक राक्षसों का संहार किया था। इसलिए आज का दिन शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का दिन होता है। जो भक्त अष्टमी तिथि का पूजन करते हैं उन्हें माँ भगवती हर कष्ट और दुख से दूर रखती है और देवी के भक्त अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर पाते हैं।
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