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फैक्ट्री या व्यवसाय-स्थान आदि पर भूत-प्रेतों का साया न पड़े, इसके लिए अपने-अपने प्रतिष्ठानों के ऊपर हनुमान ध्वज (झंडा) लगाना चाहिए। यह ध्वज लाल कलर का हो। बुरी आत्माओं का प्रवेश घर में न हो, इसके लिए द्वार पर सिंदूर से राम-राम लिखकर 7 बिंदु लगा दे जिससे आपका घर सुरक्षित रहेगा। मकान के आसपास शमशान हो या कोई खंडहर भवन हो तो ऐसे में मकान के ऊपर हनुमत-ध्वज की स्थापना कर देनी चाहिए।
यदि आप अंधेरे, भूत-प्रेत से डरते हैं या किसी भी प्रकार का भय है तो आप 'हं हनुमंते नम:' का रात को सोने से पूर्व हाथ-पैर और कान-नाक धोकर पूर्वाभिमुख होकर 108 बार जप करके सो जाएं। कुछ ही दिनों में धीरे-धीरे आपमें निर्भीकता का संचार होने लगेगा
शनि और ग्रह बाधा : जिसे लगाता है कि उसको शनि या अन्य किसी ग्रह की बाधा है, साढ़े साती, अढ़ाय्या या राहु की महादशा चल रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं। जिन पर हनुमानजी की जिस पर कृपा होती है, उसका शनि और यमराज भी बाल बांका नहीं कर सकते। आप प्रति मंगलवार हनुमान मंदिर जाएं और शराब व मांस के सेवन से दूर रहें। इसके अलावा शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा पाठ करने से शनि भगवान आपको लाभ देने लगेंगे। शनिवार को हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी को आटे के दीपक लगाएं।
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पहला कारण चंद्रमा को हनुमानजी ने शनि से बचाया था तो वे चंद्रशेखर कहलाए थे। एक बार रामजप में बाधा डालने के बारण शनिदेव को हनुमानजी ने अपनी पूंछ में लपेट लिया था और अपना रामकार्य करने लग गए थे। इस दौरान शनिदेव को कई चोटे आई। बाद में जब हनुमानजी को याद आया तो उन्होंने शनिदेव को मुक्त किया। तब शनिदनेव को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने कहा कि आज के बाद में रामकार्य और आपके भक्तों भक्तों के कार्य में कोई बाधा नहीं डालूंगा। एक बार हनुनामजनी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराया था तब शनि भगवान ने वचन दिया था कि मैं आपके किसी भी भक्त पर अपनी कृपा बनाए रखूंगा।
रोग और शोक : नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥ अर्थ : वीर हनुमानजी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है। यदि आपको शरीर में पीड़ा है या आप किसी रोग से ग्रस्त हैं तो आप हनुमान बहुक का पाठ करें।
हनुमान बाहुक गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित स्त्रोत है। जनश्रुति के अनुसार एकबार जब कलियुग के प्रकोप से उनकी भुजा में अत्यंत पीड़ा हुई तो उसके निवारण के लिये तुलसीदास जी ने इस स्त्रोत की रचना की।
यदि आप गठिया, वात, सिरदर्द, कंठ रोग, जोड़ों का दर्द आदि तरह के दर्द से परेशान हैं, तो जल का एक पात्र सामने रखकर हनुमान बाहुक का 26 या 21 दिनों तक मुहूर्त देखकर पाठ करें। प्रतिदिन उस जल को पीकर दूसरे दिन दूसरा जल रखें। हनुमानजी की कृपा से शरीर की समस्त पीड़ाओं से आपको मुक्ति मिल जाएगी
कोर्ट-कचहरी-जेल बंधन से मुक्ति : हनुमानजी 'बंधी छोड़' बाबा है। उनके अलावा कोई अन्य बंदी छोड़ नहीं है। जो व्यक्ति नित्य सुबह और शाम हनुमान चालीसा पढ़ता रहता है उसे कोई भी व्यक्ति बंधक नहीं बना सकता। उस पर कारागार का संकट कभी नहीं आता। वह मानसिक रूप से भी बंधन से मुक्त हो जाता है।
यदि किसी व्यक्ति को अपने कुकर्मों के कारण कारागार (जेल) हो गई है, तो उसे संकल्प लेकर क्षमा-प्रार्थना करना चाहिये
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