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Home ›   Blogs Hindi ›   Ashtalakshmi Stotram: Chant Ashtalakshmi Stotram to dispel poverty.

Ashtalakshmi Stotram:अष्टलक्ष्मी स्तोत्र जिसके एक बार जाप से दूर हो जाती हैं दरिद्रता।

Acharya Rajrani Sharma Updated 23 Mar 2024 10:20 AM IST
Maa Lakshmi
Maa Lakshmi - फोटो : google

खास बातें

Ashtalakshmi Stotram: मां लक्ष्मी goddess lakshmi  को प्रसन्न करने के लिए विशेष है अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत. लक्ष्मी माता के आठ रुपों का वर्णन. lakshmi pujan खास विधि से किया गया यह लक्ष्मी स्त्रोत भक्तों को देता है सुखों का वरदान. 
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मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष है अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत. लक्ष्मी माता के आठ रुपों का वर्णन इस अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत पाठ में प्राप्त होता है.  खास विधि से किया गया यह लक्ष्मी स्त्रोत भक्तों को देता है सुखों का वरदान. devi lakshmi puja में लक्ष्मी माता के स्त्रोत का पूजन करने से भक्तों को मिलता है धन धान्य का आशीर्वाद. 

लक्ष्मी जी के अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत के पाठ द्वारा पल में ही व्यक्ति अपने आर्थिक संकट से मुक्ति प्राप्त कर सकता है. शास्त्रों के अनुसार नियमित लक्ष्मी पूजन जीवन में सुख समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है किंतु यदि इसके अलावा जो लोग नियमित इसे नहीं कर पाते हैं, तो वह यदि  Friday lakshmi puja के साथ साथ अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ कर लेते हैं तो उन्हें कभी भी आर्थिक तंगी परेशान नहीं करती है. 

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शास्त्रों के अनुसार अष्ट लक्ष्मी की महिमा 

लक्ष्मी जी को हिंदू धर्म में धन धान्य प्रदान करने वाली देवी का स्थान प्राप्त है. ऎसे में कुछ खास पूजा विधि से हम सभी लोग मां लक्ष्मी की कृपा को पाने में सफल रह सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी के आठ रुप विशेष. इन रुपों के द्वारा लक्ष्मी का अलग अलग प्रभाव जीवन में पड़ता है. देवी लक्ष्मी की पूजा से जुड़ी कुछ मान्यताएं हैं जिनके अनुसार लक्ष्मी जी के इन रुपों का पूजन विधि विधान से करने से शुभ फल तो मिलते ही हैं, साथ ही आर्थिक विपन्नता कभी भी नहीं सताती है. अगर आप भी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो अष्टल लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें जिसके द्वारा जीवन का हर प्रकार का आर्थिक संकट स्वत: ही समाप्त होता चला जाएगा. 

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श्री अष्टलक्ष्मी स्त्रोतम: जो कर देगा मालामाल 

देवी स्त्रोत माता के आठ रुपों का प्रतिनिधित्व करता है. जिसका जाप नियमित करने से मिलता है सुख समृद्धि का विशेष फल आइये जान लेते हैं श्री अष्टलक्ष्मी स्त्रोत : - 

आदि लक्ष्मी
सुमनस वन्दित सुन्दरि माध
नी मंजुल भाषिणि वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद-गुण वर्षिणि शान्तिनुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि परिपालय माम् ।

धान्य लक्ष्मी:
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये ।
क्षीर समुद्भव मङ्गल रुपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ।

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धैर्य लक्ष्मी:
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र स्वरुपिणि मन्त्रमये ।
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु जनाश्रित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदापालय माम् ।

गज लक्ष्मी:
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये ।
रधगज तुरगपदाति समावृत परिजन मंडित लोकनुते ।
हरिहर ब्रम्ह सुपूजित सेवित ताप निवारिणि पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ।

सन्तान लक्ष्मी:
अयि खगवाहिनी मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये ।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि सप्तस्वर भूषित गाननुते ।
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर मानव वन्दित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि परिपालय माम् ।

विजय लक्ष्मी:
जय कमलासनि सद-गति दायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये ।
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर भूषित वसित वाद्यनुते ।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्करदेशिक मान्यपदे ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विजयक्ष्मि परिपालय माम् ।

विद्या लक्ष्मी:
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये ।
मणिमय भूषित कर्णविभूषण शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिद्धिदायिनी कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम् ।

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धन लक्ष्मी:
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमी दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये ।
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते ।
वेद पुराणेतिहास सुपूजित वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते ।
जय जय हे कामिनि धनलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ।
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विष्णुवक्षःस्थलारूढे भक्तमोक्षप्रदायिनी ।।
शङ्ख चक्र गदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलम शुभ मङ्गलम ।
। इति श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम सम्पूर्णम ।
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