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पितृ पूजन की अमावस्या
अमावस्या को अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने हेतु बहुत से कार्य किए जाते हैं. पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृ तर्पण करने के लिए सबसे सकारात्मक अमावस्याओं में से एक मानी जाती है. लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और तर्पण, श्राद्ध आदि करते हैं. इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन लोग जाकर अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं और पितृदोष से मुक्ति पाते हैं. आइए जानते हैं आदि अमावस्या की तिथि और महत्व कैसे है इनका विशेष समय है
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अमावस्या 2023 तिथि और उपाय
हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 15 अगस्त को दोपहर 12:43 बजे शुरू होती है और 16 अगस्त को दोपहर 16:08 बजे समाप्त होती है. इसलिए पितृ कार्यों के लिए अमावस्या 16 अगस्त 2023 बुधवार को पड़ रही है. अमावस्या के दिन अनुष्ठान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जाओं का आगमन होता है तथा बुरे असर समाप्त होंगे. साथ ही आर्थिक स्थिति भी सही रहती है.
अमावस्या के दिन दान करने का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन जरूरतमंदों या गरीबों को कपड़े, भोजन और जरूरी चीजें दान करना काफी शुभ होता है. इसके द्वारा पितरों का आशीर्वाद मिलता है तथा शुभ कर्मों में वृद्धि होती है.
शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन सूर्य की ओर मुख करके तिल मिश्रित जल से अर्घ्य देना चाहिए. ऐसा करने से पितरों से संतान, सुख-समृद्धि, धन और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है.
इस दिन सूर्य पूजा के साथ साथ शिव पूजा करना शुभ माना जाता है. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
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इस दिन खीर बना कर पितरों के लिए निकालें. ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा. बाद में इस खीर को गाय को खिला दें या फिर इसे गरीबों में बांट दें ऎसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है.