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Adhik Maas Amavasya 2023: कब मनाई जाएगी अधिक मास अमावस्या,  नोट कर लें तिथि और महत्व

my jyotish expert Updated 04 Aug 2023 02:12 PM IST
Adhik Maas Amavasya 2023: कब मनाई जाएगी अधिक मास अमावस्या,  नोट कर लें तिथि और महत्व
Adhik Maas Amavasya 2023: कब मनाई जाएगी अधिक मास अमावस्या,  नोट कर लें तिथि और महत्व - फोटो : my jyotish
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अमावस्या एक ऎसा समय जब चंद्रमा का अलग ही असर दिखाई देता है. ज्योतिष अनुसार अमावस्या का समय एक अत्यंत ही खास समय होता है. इस समय पर प्रकृति में बदलाव दिखाई देते हैं और इनका असर मनुष्य पर भी पड़ता है. वैसे तो हर माह अमावस्या आती है. लेकिन इस बार की अमावस्या कुछ खास रहने वाली है क्योंकि यह तीन साल में आती है. इस को अधिक मास की अमावस्या के रुप में जाना जाता है जो काफी समय के बाद आती है और इसी कारण से यह इतनी विशेष होती है. 

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कब मनाई जाएगी अधिक मास अमावस्या 
इस साल 16 अगस्त, 2023 को बुधवार के दिन अधिकमास अमावस्या का समय होगा. अधिक मास अमावस्या की तिथि 15 अगस्त को दोपहर 12.42 बजे से शुरू हो जाएगी. अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान करने से पुण्य प्राप्त होता है. पितरों का अशीर्वाद मिलता है. अधिक मास की अमावस्या 16 अगस्त, के दिन होगी ओर मंगलवार, 15 अगस्त को दर्श अमावस्या का समय रहेगा. 

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अमावस्या का पौराणिक महत्व क्यों है विशेष
अमावस्या के विषय में ग्रंथों में बहुत विस्तार पूर्वक इसका महत्व प्राप्त होता है. अमावस्या को आध्यात्मिक यात्रा के साथ साथ जीवन के उथान के लिए भी बहुत विशेष समय माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं की अगर बात करें तो अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं. पितर अपने परिवार के पास तर्पण लेने की चाह से ही आते हैं. इस समय पर पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, दान आदि को करना अत्यंत ही आवश्य कार्यों में शामिल होता है. इसके द्वारा पितरों को संतुष्टि प्राप्त होती है. 

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ग्रहों की शांति का समय 
ज्योतिष की दृष्टि से अमावस्या का समय ग्रहों की शांति के लिए भी विशेष माना गया है. इस समय अधिक मास अमावस्या जो 3 साल में एक बार आती है तो इस समय पर ग्रह शांति के कार्य अत्यंत उत्तम फल प्रदान करने वाले होते हैं. इस वर्ष अधिक मास अमावस्या की तिथि 15 अगस्त मंगलवार को दोपहर 12.42 बजे से 16 अगस्त बुधवार को दोपहर 03.07 बजे तक है. अधिक मास अमावस्या पर चंद्र पूजन करना चंद्रमा की शुभता देता है. इस समय प्रात:काल सूर्य पूजन द्वारा कुंडली में कमजोर सूर्य को बल प्राप्त होता है. श्री हरि का पूजन करने से ग्रहों की शांति होती है. नव ग्रहों के शुभ प्रभाव प्राप्त होते हैं. 

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