सावन प्रदोष को नवग्रह पूजन का फल
ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च । गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवन्तु ।।
लग्न कुण्डली में बैठे नवग्रहों में इतनी शक्ति होती है कि व्यक्ति इन्हीं की प्रकृति के हिसाब से सभी कार्य करता है। शास्त्रों के अनुसार, व्यक्ति का वर्तमान, भविष्य तथा बीता हुआ समय सब ग्रहों से ही प्रभावित होता है। यदि, व्यक्ति का मंगल प्रभावी हो तो वह उसी से लड़ाई कर सकता है जिससे वह सबसे अधिक प्रेम करता है। कोई कितना भी पढ़ाई करे, बुध ग्रह सही नहीं तो उसे कुछ समझ ही नहीं आएगा। ऐसे ही चन्द्रमा के उल्टे प्रभाव के कारण मन में शांति नहीं रहती। शनि कर्म का फल बाद में देते हैं, पहले अच्छे से कठिन परीक्षा लेते हैं। आप कितना भी किसी कार्य को करने का मन में ठान लो, पर राहु आपको भटकाने में तनिक भी कसर नहीं छोड़ता। बाक़ी, सभी ग्रहों के अपने-अपने निर्धारित कार्य हैं। पौराणिक कथाओं की माने तो ग्रह दोषों से स्वयं चक्रवर्ती राजा विक्रमादित्य भी नहीं बच सके।
इसीलिए, किसी एक ग्रह को शांत करने से बेहतर होता है, सभी ग्रहों को शांत करना। जब नवग्रह शांति हो जाती है, तो सभी ग्रह व्यक्ति को उचित व बराबर लाभ पहुँचाते हैं और उनसे होने वाली हानि भी समाप्त हो सकती है। समस्त देवीय व आसुरीय प्रवृत्ति रखने वाले शिव-भक्त व शिवजी के आज्ञाकारी होते हैं। यदि, श्रावण मास में मुख्यत: शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (प्रदोष व्रत) के दिन नवग्रह पूजन किया जाए, तो भोलेनाथ की कृपा से सभी ग्रह शांत हो जाते हैं। जिससे पूजन करने या करवाने वाले के सभी शुभ कार्य मनचाहे ढंग से होने लगते हैं और कम मेहनत का अधिक फल मिलता है। साथ ही, इस सावन कई वर्षों बाद सर्वार्थ सिद्धि व वरलक्ष्मी का अनोखा योग बन रहा है, जिसमें किया गया हर कार्य सफल और दोगुना फलदायक होता है।
यदि, यह पूजन आस्था और विश्वास के साथ पूरे विधि-विधान से बताए गए दिन को योग्य ब्राह्मण से कराया जाए तो दरिद्रता जड़ से समाप्त हो जाती है और धन-लक्ष्मी में बढ़त होने लगती है। व्यापार कई गुना तेज़ी से बढ़ता है। मन में शांति व शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। असाध्य रोगों तथा बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। शत्रु परास्त होते हैं। बुद्धि अधिक काम करती है, जिससे परीक्षा में अच्छे अंक मिलते हैं। नौकरी में नए अवसर व प्रमोशन मिलते हैं। शादी-विवाह में आ रही परेशानियाँ ख़त्म होती हैं।
हमारी नवग्रह पूजन की सेवाएं :-
इस सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि अर्थात् प्रदोष व्रत के दिन नवग्रह शांति पूजन अनुभवी, सात्विक व योग्य ब्राह्मण शास्त्री जी से कराया जाएगा। नवग्रह शांति एवं ऊपर बताए गए समस्त लाभों की प्राप्ति हेतु यह पूजन पूरे विधि-विधान से संपन्न किया जाएगा। पूजन से पूर्व शास्त्री जी संकल्प कराएंगे। पूजन के समय आपको एक लिंक भेजा जाएगा, जिसके माध्यम से आपके द्वारा कराई जा रही इस पूजा को आप लाइव देख सकेंगे। जिसके लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना होगा।
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