ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र के पाठ का फल
श्री ललिता महादेव्यै नम:।
ब्रह्मांड पुराण में ललितोपाख्यान शीर्षक को ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र कहते हैं। भगवान विष्णु के अवतार हयग्रीव ने सबसे पहले इसे ऋषि अगस्त्य को सुनाया व सिखाया था। जिसकी महिमा की कोई सीमा ही नहीं है। भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ललिता सप्तमी की तिथि होती है। ललिता देवी अर्थात् माँ त्रिपुर सुंदरी के एक हज़ार नामों का पाठ करने से कुछ भी असम्भव नहीं है। असम्भव से असम्भव शुभ कार्य तो सफल होते ही हैं, साथ ही माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है।
श्री ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र के पाठ करने से फल अवश्य ही मिलते हैं। इस पूजन को शुद्धता के साथ पूर्ण विधिविधान से पुरोहित से सम्पन्न कराना अत्यन्त आवश्यक है। पूजन की सफलता के पश्चात् बिना माँगे ही देवी-देवता आपकी सहायता में जुट जाते हैं और आपके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। अपार धन की प्राप्ति के साथ ही इस पूजन से कई सकारात्मक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनकी अनुभूति पूजन कराने वाले को स्वयं होती है।
हमारी पूजा सेवाएं :-
ललिता सप्तमी की तिथि को शास्त्रों द्वारा बताए गए पूरे विधिविधान व शुद्धता के साथ श्री ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ आचार्य जी द्वारा कराया जाएगा। पूजन से पूर्व पंडित जी संकल्प कराएंगे। पूजन के समय आपको एक लिंक भेजा जाएगा, जिसके माध्यम से आप पूजन को लाइव देखकर पूजा का आनंद व लाभ ले सकेंगे।
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