पूजा के शुभ फल :
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गोवर्धन पूजा, कार्तिक महीने में दिवाली के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस अवसर को बाली प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है, इस अवसर पर भक्त भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, यह पूजा भगवान इंद्र के अहंकार पर भगवान कृष्ण की जीत का प्रतीक है। लोग अनाज के ढेर (गोवर्धन पर्वत का प्रतीक) की भी पूजा करते हैं।
इस पूजन से गंभीर परिस्थितियों में लोगों को आश्रय प्रदान होता है। गोवर्धन पूजा के दौरान, भक्त सुबह अपनी गायों और बैल को स्नान कराते हैं और उन्हें माला और फूलों से सजाते हैं। गोवर्धन पूजा का दिन गुजराती नव वर्ष के दिन के साथ आता है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को मनाया जाता है। श्री कृष्ण की आराधना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते है। उन्हें किसी प्रकार का कोई दुःख नहीं रहता साथ ही उनकी परेशानियों का निवारण स्वयं भगवान श्री कृष्ण करते है। श्री को छप्पन भोग अर्पण करने से भक्तों की समस्त कामनाएं पूर्ण होती है और उन्हें मनवांछित फल प्राप्त होता है।
हमारी सेवाएँ :
अनुष्ठान से पहले हमारे युगान्तरित पंडित जी द्वारा फ़ोन पर आपको संकल्प करवाया जाएगा। तथा पंडित जी द्वारा पूर्ण विधि -विधान से पूजन संपन्न किया जाएगा।
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