कन्या संक्रांति, जिसे सूर्य के संक्रामण काल के रुप में जाना जाता है एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण पर्व होता है. संस्कृत भाषा में "संक्रांति" शब्द का अर्थ होता है संक्रमण कला या एक विशेष मोड़. हिंदू सौर मास में एक महत्वपूर्ण दिन होता है और साथ ही इस समय पर कई प्रकार के धार्मिक कार्य भी संपन्न किए जाते हैं. संक्राति वह दिन होता है जो सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर का प्रतीक माना जाता है. सूर्य ग्रह अपनी स्वराशि सिंह से निकल कर कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे कन्या संक्रांति के नाम से जाना जाता है.कन्या संक्रांति पर कई प्रकार के दान, पूजा पाठ, पूर्वजों के लिए श्राद्ध पूजा और साधना इत्यादि अनुष्ठान कार्य संपन्न किए जाते हैं. प्रत्येक वर्ष बारह संक्रांति होती हैं और प्रत्येक संक्रांति आध्यात्मिक गतिविधियों और दान के लिए एक अत्यंत शुभ अवसर होता है. कन्या संक्रांति को श्राद्ध और तपस्या के संस्कार करने के लिए एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है. इस पर्व के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है.
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