शौचालय – यह अपने आप में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका निर्माण गलत जगह होने से मुख्यत: पैसे और हेल्थ को लेकर समस्या सामने आती है। ऑफिस का टॉयलेट हो या घर का, उसका वास्तु के अनुसार होना बेहद आवश्यक है। पहले लोग शौचालय घर के बाहर बनाते थे, लेकिन बदलते समय में अब यह घर के अंदर ही बनाया जाता है। वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखते हुए लोग अब काफी सारी चीजों का ध्यान रखते हैं। शौचालय की दिशा निर्धारित करने से समस्याएं कम आती है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक,
शौचालय के लिए घर का दक्षिण-पश्चिम दिशा बेहतर होता है। इस दिशा में शौचालय का होना शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिशा में टॉयलेट के होने से मनुष्य अपनी जिंदगी से बेकार और दुखदायक चीजों का विसर्जन कर सकता है। शौचालय का निर्माण ख़राब ऊर्जा वाली स्थान पर होना चाहिए। यदि यह सही दिशा में नहीं होता है तो वैवाहिक जीवन में क्लेश हो सकता है। परिवार वालों के साथ मनमुटाव देखने को मिल सकता है। इसके अलावा नौकरियां व्यापार में नुकसान उठाना पड़ सकता है। साथ ही परिवार के लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। घर के मुखिया का आत्मविश्वास जगमगाते हुए भी देखा जाता है। एक बात का और ख्याल रखें कि बाथरूम और टॉयलेट अलग -अलग हो।
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