कृष्ण जन्मोत्सव व्रत के कुछ नियम ;
हिंदू ग्रंथों के अनुसार इस महापर्व के दिन अन्न का ग्रहण नहीं किया जाता हैं । इस वक्त को एक निश्चित अवधि में ही खोला जाता है । इस व्रत को मुख्य रूप से अमूमन जन्माष्टमी व्रत अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद ही खोला जाता है । यदि इन दोनों में से किसी भी मुहूर्त में सूर्यास्त से पहले इसकी अवधि समाप्त नहीं हो रही होती है तो इस व्रत को सूर्यास्त के बाद ही खोला जाता है और अगर इन दोनों में से कोई भी एक मुहूर्त में पूजा की अवधि समाप्त हो रही होती है तो उस समय के बाद ही कृष्ण जन्मोत्सव का व्रत खोला जाता है ।
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