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Sawan 2021: सावन के पावन महीने में जानिए कावड़ यात्रा से जुड़े इतिहास , नियम, व मान्यताएँ

kumari sunidhiraj Myjyotish expert Updated Sun, 25 Jul 2021 01:06 PM IST
kanwar yatra
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जाने क्या है कावड़ यात्रा

इस यात्रा में अधिकांश तीर्थयात्री पुरुष होते है , हलाकि कुछ महिलाएं भी यात्रा में भाग लेती हैं। अधिकांश पैदल दूरी तय की जाती है , वही कुछ यात्री पैंडल साइकिल, मोटर साइकिल, मोपेड,  ट्रक या छोटी जीप पर भी कावड़ यात्रा करते हैं। कई हिंदू संगठन और अन्य स्वैच्छिक संगठन जैसे स्थानीय कांवर संघ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद ने यात्रा के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे शिविर स्थापित करते है,  जहां भोजन, आश्रय, चिकित्सा सहायता और गंगा जल धारण करने वाले कांवड़ों को सहारा देने के लिए खड़े होते हैं। 

इलाहाबाद और वाराणसी जैसे स्थानों पर छोटी तीर्थयात्राएं भी की जाती हैं। श्रावणी मेला झारखंड के देवघर में एक प्रमुख त्योहार है, जहां हजारों भगवाधारी तीर्थयात्री सुल्तानगंज में गंगा से पवित्र जल लाते हैं, जो पैदल 105 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं और इसे भगवान बैद्यनाथ यानि शिव जी को चढ़ाते हैं। यहाँ लगभग 1960 तक,यह  यात्रा कुछ संतों, भक्तों और पड़ोसी शहरों के अमीर मारवाड़ियों तक ही सीमित थी, और हाल के वर्षों में इस यात्रा में काफी वृद्धि देखी गई है। 

एक बार तीर्थयात्री अपने सहर पहुंच जाते हैं, तो गंगा जल का उपयोग श्रावण मास में तेरहवें दिन (त्रयोदशी) या महा शिवरात्रि के दिन शिवलिंग को स्नान करने के लिए उपयोग करते है ।

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