बता दें कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पूर्वज ज्ञात और अज्ञात पितृों का सामूहिक श्राद्ध किया जा सकता है।
गजछाया योग का महत्व-
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक अमावस्या की तिथि में सूर्य और चंद्रमा दोनों के हस्त नक्षत्र में होने से गजछाया नाम का योग बनता है। इस योग को विशेष रूप से फलदायी माना गया है। शास्त्रों में भी इस योग की महिमा अपरंपार है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन तीर्थ-स्नान, जप, ब्राह्मणों को भोजन करवाकर वस्त्रादि का दान देना और जप करने से पितृों की मुक्ति होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। बता दें कि अमावस्या के दिन यह विशिष्ट योग सूर्योदय से शाम के करीब साढ़े चार तक रहेगा।
इस पितृ पक्ष गया में कराएं श्राद्ध पूजा, मिलेगी पितृ दोषों से मुक्ति : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021