Shani Sade Sati
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शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा : ज्योतिष में सभी 9 ग्रह विशेष महत्व रखते हैं ∣ जिनमें सबसे ज्यादा शनि ग्रह का महत्व माना जाता है ∣ शनि को ज्योतिष में बहुत ज्यादा ही क्रूर ग्रह समझा जाता है ∣ लेकिन ऐसा सही नहीं माना जाता है क्योंकि शनि देव सभी को लोगों को उनके अच्छे बुरे कर्मो का फल देते हैं ∣ जिसके कारण शनि देव को न्याय प्रिय देवता कहा जाता है ∣ अगर किसी जातक की राशि में शनि मजबूत हो तो उसको शुभ फल मिलता है ∣ किन्तु जिनकी राशि में शनि मजबूत नहीं होता है उन्हें अशुभ फल मिलता है ∣ इसके अलावा शनि देव सबसे मंद ग्रह माने जाते हैं ∣ जिसके कारण इनका शुभ और अशुभ फल लंबे समय तक किसी को मिलता है ∣शनि किसी एक राशि में ढ़ाई वर्षो तक रहते हैं फिर उसके बाद अन्य राशि में अपनी राशि बदलते हैं। इस तरह से शनि को सभी 12 राशियों का एक चक्कर लगाने में लगभग 30 वर्षो का समय लगाते हैं।
शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा लगने से जातकों को कई तरह की परेशानी से जूझना पड़ता है। शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी होते हैं। तुला राशि शनि की उच्च और मेष राशि शनि की नीच राशि मानी गई है। पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी भी शनि देव होते हैं।
आज हम जानेगें क्या है शनि का साढ़ेसाती इसका सभी राशियों पर कैसा पड़ेगा प्रभाव-