एकादशी में चावल न खाने का धार्मिक महत्व:
आमतौर पर हम सभी लोग सुनते हैं ∣ कि इस दिन चावल नहीं खाना चाहिए और न ही घर पर बनना चाहिए इसका धार्मिक महत्व अगर हम देखें तो पौराणिक मान्यता के मुताबिक माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया। चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए, इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है। जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि थी, इसलिए इनको जीव रूप मानते हुए एकादशी को भोजन के रूप में ग्रहण करने से परहेज किया गया है, ताकि सात्विक रूप से विष्णु प्रिया एकादशी का व्रत संपन्न हो सके।
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