अपने पुरे परिवार के उधार के लिए उसने जानबुझ कर श्री राम से शत्रुता मोल ली थी. जाहिर है रावण बेहद शक्तिशाली था जिसको मारने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था.असुरो का सम्राट होने के बावजूद भी रावण एक महाज्ञानी पंडित तथा शास्त्रो में पारंगत था. सौरमंडल के सम्पूर्ण ग्रह रावण के इशारों पर चला करते थे, कोई भी ग्रह रावण के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकता था. मेघनाद के जन्म के पूर्व जब वह अपनी माता मंदोदरी के गृभ में था तब रावण ने उसे अमर बनाने के लिए सभी नक्षत्रों को एक स्थिति में ला दिया था. रावण संहिता (ravan sanhita) के अनुसार धन प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति को प्रातः शीघ्र उठना चाहिए. अपने नित्य कर्मो आदि से निर्वित होकर, नदी या जलाशय जाकर स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद उस किसी वृक्ष के नीचे आसन लगाकर बैठे जहां शांत वातावरण हो. रावण हमेशा से भगवान शंकर का भक्त रहा है और हमेशा उनका जाप करता था। इस वजह से शिवाजी ने अपनी शक्ति रावण को दे दी थी इस वजह से मैं शिव भक्त होने के साथ ही महापण्डित ज्ञानी भी बन गया।
रावण की कुंडली सिंह लग्न की कुंडली है। सूर्य सिंह लग्न का स्वामी होता है और इस कारण रावण बेहद शक्तिशाली था।सूर्य के साथ-साथ यहा बृहस्पति भी है। बृहस्पति यहां पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है। पंचम भाव की बात करें तो उसमें बृहस्पति होने से रावण किसी पूर्व जन्म के कारण पैदा होता है। जबकि कुंडली के अष्टम भाव में गुरू की उपस्थिति इंसान को गुप्त विद्याओं का मालिक बनाती है।
दरिद्रता से मुक्ति के लिए ज़रूरी है अपने ग्रह-नक्षत्रों की जानकारी, देखिए अपनी जन्म कुंडली मुफ़्त में