3. ईर्ष्या
यह तो हम सभी जानते हैं कि ईर्ष्या वह आग है जो व्यक्ति को अंदर ही अंदर जलाती रहती है तथा इसी कारण व्यक्ति खुद भी कभी पसंद नहीं हो पाता और ना ही तरक्की कर पाता है। उसके दिमाग में केवल यही बात चलती रहती है कि जिससे वह ईर्ष्या कर रहा है उसे कैसे पीछे किया जाए। ऐसे में जो व्यक्ति दूसरों से ईर्ष्या करता है वह स्वयं का ही नुकसान करता है और बाद में स्वयं की इस आदत को लेकर बहुत पछताता है।
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