भारतीय संस्कृति में दीपावली और
दीपावली के पर्व बेहद ही महत्वपूर्ण है साथ ही देश का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष बड़ी धूमधाम से भारत में मनाया जाता है। दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है. धनतेरस का पर्व श्रद्धा व विश्वास के साथ -साथ मनाया जाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस त्यौहार को मनाने के संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं.
धनतेरस की कथा :
पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को अमृत पात्र के साथ प्रकट हुए थे. इसी उपलक्ष्य में धनतेरस का त्यौहार मनाये जाने की परंपरा शुरू हुई. भगवान धनवंतरी को विष्णु का अवतार माना जाता है और उन्हें देवताओं के वैद्य के रूप में भी जाना जाता है. धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा कर अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना की जाती है.माना जाता है कि भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक हैं. धनवंतरी ने ही आयुर्वेद का प्रादुर्भाव किया और शल्य चिकित्सा की खोज की. उनकी प्रिय धातु पीतल मानी जाती है.इसीलिए धनतेरस पर पीतल के बर्तन खरीदने की परंपरा है.
धनतेरस पर चांदी के आभूषण खरीदना भी शुभ माना जाता है. चांदी को चंद्रमा का प्रतीक मानते हैं इसलिए चांदी कुबेर की धातु है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन चांदी के आभूषण खरीदने से यश और कीर्ति में वृद्धि होती है.यह भी मान्यता है कि धनतेरस के दिन चल या अचल संपत्ति खरीदने से उसमें 13 गुना वृद्धि होती है.
दान-दक्षिणा करने से हर व्यक्ति को फायदा मिलता है. लेकिन धनतेरस के दिन दान करने से खास लाभ होता है. तो धनतेरस के दिन कुछ चीजों का दान जरूर करें इससे आपके धन में वृद्धि होगी.
सभी कामनाओं को पूरा करे ललिता सहस्रनाम - ललिता सप्तमी को करायें ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र, फ्री, अभी रजिस्टर करें