आलस्य का करें त्याग
आचार्य चाणक्य का कहना है कि मनुष्य के जीवन में सबसे बड़ी बाधक उसकी आलस्य होती है। जो व्यक्ति अपने हर कार्य को बस कल पर टालते हैं वो जीवन में कभी भी आगे नहीं बढ़ पातें। वह व्यर्थ का जीवन यापन करते हैं। उनका कोई उद्येश्य नहीं होता। ऐसे व्यक्ति को सफलता कभी हाथ नहीं लगती है। मनुष्य का जीवन परिश्रमों से घिरा रहता है। उन्हें किसी भी चीज को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। खासतौर पर युवा अवस्था केे लोगों में आलसीपन नहीं होना चाहिए। क्योंकि ये एक अनमोल अवस्था होती है। जिसमें अगर थोड़ी मेहनत कर ली जाए तो आगे की जीवन सरल हो जाती है।
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