सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रह बताए गए हैं। जैसा की आपको पता भी होगा की ये सारे ग्रह समय समय पर अपने स्थान बदलते रहते हैं।स्थान बदलने के वजह से ही जातकों के कुंडली मे शुभ और अशुभ का योग्य बनता है।ग्रहों को सही करने के लिए और लाभ पाने के लिए ज्योतिष की शाखा रत्नशास्त्र में कई रत्नों के बारे में बताया गया है।इसी के साथ इन रत्नों के उपरत्न धारण करके भी लाभ प्राप्त किया जाता है। ये रत्न बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रभावशाली होते हैं।इन्ही रत्नों के कारण किसी भी व्यक्ति की परेशानी दूर हो जाती है और जीवन एक नया रूप में चलने लगता है।लोगो के घर परिवार में भी खुशहाली आ जाती है,इंसान परेशानी मुक्त हो जाता है।शिर्फ़ यही नही बल्कि जीवन मे एक नही कई सकारात्मक परिवर्तन आते है।रत्न धारण करने से व्यक्ति एकदम सुख समृद्धि पाने लगता है और उसके सारे दुख एकदम से दूर हो जाते है लेकिन इन सब के बाद भी एक ध्यान देने वाली बात होती है जो बहुत ही महत्वपूर्ण भी है।रत्न धारण करने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत ही जरुरी होता है।यदि इन बातों और नियमों को ध्यान में न रखा जाए तो आपको रत्न का उचित लाभ नहीं मिल पाता है साथ ही फायदा होने के स्थान पर नुकसान भी हो सकता है।और कई बार ऐसा हो चुका है इसी लिए ज्योतिष से राय लेकर रत्न धारण करना चाहिए। सबसे पहले आइए जानते हैं कि रत्न धारण करते समय किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है और क्यों होता है।
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