शनिश्चरी अमावस्या पर सूर्यग्रहण 4 दिसंबर को-
इससे पहले 26 मई को चंद्रग्रहण हुआ था, वह भी भारत के एक बड़े हिस्से पर मान्य नहीं था। इसके ठीक बाद 4 दिसंबर शनिश्चरी अमावस्था पर भी खग्रास सूर्यग्रहण होगा, पर वह भी भारत में दिखाई नहीं देगा। इस प्रकार एक ही महीने में दो ग्रहण होंगे। आचार्य वराह मिहिर की बृहत्संहिता के अनुसार एक ही माह में दो ग्रहण सैन्य हलचलों को बढ़ाते हैं, किसी देश में तख्तापलट भी हो सकता हैं।
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