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जानिए पुत्र की अनुपस्थिति में शास्त्रों के अनुसार किसको मिलता है श्राद्ध का अधिकार

sonam Rathore my jyotish expert Updated Sun, 19 Sep 2021 10:20 AM IST
shradh 2021
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पितृपक्ष को पूर्वजों का पक्ष माना जाता है। और इस वक्त लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें श्राद्ध देते हैं तथा उनके श्राद्ध के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के व्यंजन जैसे खीर, पूरी आदि चीजें बनाते हैं और अंत में किसी ब्राह्मण या कुंवारी कन्याओं को उसका भोग लगाते हैं। पितृपक्ष का प्रारंभ अश्विनी कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से होता है। और वर्ष 2021 में 13 सितंबर से पूर्णिमा के दिन है। और इसके अगले दिन यानी 14 सितंबर 2021 को श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो जाएंगे। और जो 28 सितंबर 2021 अमावस्या तक चलेंगे। ओ शास्त्र के अनुसार यह माना जाता है कि पूर्वजों को नरक से मुक्ति उसके पुत्र द्वारा ही मिलती है। और इसलिए ही मरणोपरांत संस्कार के लिए पुत्र का स्थान सबसे पहला होता है। और पुत्र को ही तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध का अधिकार दिया जाता है। तो आज हम जानेंगे कि यदि किसी का पुत्र ही ना हो तो श्राद्ध का अधिकार किसे दिया जा सकता है। क्योंकि नरक से मुक्ति के लिए श्राद्ध का होना बहुत जरूरी है। और यह माना जाता है कि यदि किसी का श्राद्ध अच्छे तरीके से या शादी नहीं होता तो उसे कभी शांति नहीं मिलती। इसलिए श्राद्ध को महत्वपूर्ण माना गया है।



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