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अपनाएं पितामह भीष्म की यह 10 नीतियां, पाएं जीवन में सफलता

Prerna Prerna My Jyotish Expert Updated Thu, 29 Jul 2021 09:30 PM IST
अपनाएं  पितामह भीष्म की यह 10 नीतियां, पाएं जीवन में सफलता
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अपनाएं  पितामह भीष्म की यह 10 नीतियां, पाएं जीवन में सफलता


भीष्म पितामह, महाभारत के महायोद्धाओं में से एक प्रमुख थें। जो राजा शांतनु व  देवी गंगा के सुपुत्र थे। ब्रह्मा जी द्वारा स्वर्ग लोक में दिए गए श्राप के कारण शांतनु व गंगा देवी  का जन्म पृथ्वी पर हुआ था। और इनके आठवीं संतान देवव्रत थे। जिनका आगे चलकर नाम "भीष्म" पड़ा। और फिर बाद में भीष्म पितामह बन गया। भीष्म पितामह आजीवन ब्रह्मचर्य अपनाकर कुंवारे रह गए। भीष्म के गुरु परशुराम थे। जो कि अत्यंत वीर और दिव्य शास्त्रों से युक्त धनुर्धर के साथ-साथ रणनीतिकार भी थे। इनकी शरण में रहकर भीष्म ने शिक्षा-दीक्षा ली। कहा जाता है कि हस्तिनापुर में अत्यंत दुर्बल शासकों के रहते हुए भी अन्य कोई राजा इस पर आक्रमण करने की चेष्टा नहीं रखता था। क्योंकि वहां एक वीर योद्धा रहता था जो अकेले हीं सभी सेनाओं पर भारी था। भीष्म पितामह सदैव धर्म के बारे में जानने के लिए इच्छुक रहते थे। इसलिए वे कुरुक्षेत्र के रण क्षेत्र में हस्तिनापुर की ओर से लड़े थे। भीष्म ने युद्ध के पूर्व और पश्चात कई महत्वपूर्ण बातों को कहा। उन्होंने कृष्ण, दुर्योधन, अर्जुन, युधिष्ठिर और धृतराष्ट्र से कई ऐसी बातें कही। भीष्म ने युधिष्ठिर को संबोधित करते हुए वहां पर मौजूद सभी को उपदेश दिया। उनके उपदेश में राजनीति, जीवन और धर्म की पूर्ण बातें एवं नीति की बातों का वर्णन होता था। तो आइए आपको बताते हैं भीष्म की नीतियों के बारे में_
 

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