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Vasant Panchami 2022 LIVE Updates: बसंत पंचमी पर ज्ञान की देवी सरस्वती और कर्मफलदाता शनिदेव की पूजा का बना है विशेष संयोग,पूजन शुभ मुहूर्त, महाउपाय

Myjyotish Expert Updated 05 Feb 2022 04:48 PM IST
Vasant Panchami 2022 LIVE Updates: Know Devi Saraswati Puja Vidhi Shubh Muhurat Time Upay in Hindi
वसन्त पंचमी सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त 5 फ़रवरी 2022 लाइव अपडेट - फोटो : Myjyotish

खास बातें

LIVE Vasant Panchami (वसन्त पंचमी) 2022 Puja Shubh Muhurat (सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त) Updates : बसंत पंचमी का पर्व शनिवार के दिन आना एक अत्यंत शुभ एवं महत्वपूर्ण समय को दर्शाता है. इस समय शनि देव कर्मफलदाता का प्रभाव ज्ञान के साथ मिलकर अदभुत फलों को प्रदान करने वाला होगा. इस समय शनि देव मकर राशि में सूर्य, बुध के साथ त्रिग्रही योग में भी हैं सूर्य जो आत्मा है ज्ञान का प्रकाश है ओर बुध जो बुद्धि का मूल तत्व बनता है उसी के साथ शनि देव स्थित हैं और बसंत पंचमी सरस्वती जी का समय है वह भी शनिवार के दिन पर हो रहा है तो ऎसे में ज्ञान की भरपूरता का योग बन रहा है 

लाइव अपडेट

04:46 PM, 05-Feb-2022
सरस्वती पूजा का बौद्ध संस्कृति एवं देश के अन्य धर्मों के साथ संबंध

देवी सरस्वती का पूजन केवल भारत तक ही सीमित नहीं रहा है अपितु यह नेपाल, तिब्बत, इंडोनेशिया, थाईलैंड आदि की बौद्ध संस्कृति में भी इसका जुड़ाव देखा गया है. हिंदू धर्म के साथ बौद्ध धर्म का घनिष्ठ संबंध रहा है और सरस्वती को बोधिसत्व मंजुश्री की पत्नी के रूप में स्थापित करते हैं. प्रार्थनाओं और पूजा अनुष्ठानों के दौरान इन्हें पूजा जाता है. इस प्रकार, काठमांडू के आसपास बुद्ध की मूर्ति या मंदिर को सरस्वती की मूर्ति के साथ निकटता का संबंध माना गया है. जापान, वियतनाम, इंडोनेशिया और बर्मा जैसे देशों में भी पूजनीय हैं. भारत और नेपाल के बाहर, देवी सरस्वती का स्वरुप अन्य सभ्यताओं में अलग तरह क भी प्राप्त होता है और मनयताओं में इनके साथ संबंध विश्व की अनेक सभ्यताओं में देखा जा सकता है. बर्मी में थुरथाडी के रूप में जानी जाती है, चीनी के रूप में बिएनकाइटी एन, जापानी के रूप में बेंजाइटेन और थाई में सुरतसावाड़ी या सरतसावाड़ी के रूप में जाना जाता है.

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04:24 PM, 05-Feb-2022
76 शुभदा ॐ शुभदायै नमः।
77 सर्वात्मिका ॐ स्वरात्मिकायै नमः।
78 रक्तबीजनिहन्त्री ॐ रक्तबीजनिहन्त्र्यै नमः।
79 चामुण्डा ॐ चामुण्डायै नमः।
80 अम्बिका ॐ अम्बिकायै नमः।
81 मुण्डकायप्रहरणा ॐ मुण्डकायप्रहरणायै नमः।
82 धूम्रलोचनमर्दना ॐ धूम्रलोचनमर्दनायै नमः।
83 सर्वदेवस्तुता ॐ सर्वदेवस्तुतायै नमः।
84 सौम्या ॐ सौम्यायै नमः।
85 सुरासुर नमस्कृता ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः।
86 कालरात्री ॐ कालरात्र्यै नमः।
87 कलाधारा ॐ कलाधारायै नमः।
88 रूपसौभाग्यदायिनी ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः।
89 वाग्देवी ॐ वाग्देव्यै नमः।
90 वरारोहा ॐ वरारोहायै नमः।
91 वाराही ॐ वाराह्यै नमः।
92 वारिजासना ॐ वारिजासनायै नमः।
93 चित्राम्बरा ॐ चित्राम्बरायै नमः।
94 चित्रगन्धा ॐ चित्रगन्धायै नमः।
95 चित्रमाल्यविभूषिता ॐ चित्रमाल्यविभूषितायै नमः।
96 कान्ता ॐ कान्तायै नमः।
97 कामप्रदा ॐ कामप्रदायै नमः।
98 वन्द्या ॐ वन्द्यायै नमः।
99 विद्याधरसुपूजिता ॐ विद्याधरसुपूजितायै नमः।
100 श्वेतासना ॐ श्वेतासनायै नमः।
101 नीलभुजा ॐ नीलभुजायै नमः।
102 चतुर्वर्गफलप्रदा ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः।
103 चतुरानन साम्राज्या ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः।
104 रक्तमध्या ॐ रक्तमध्यायै नमः।
105 निरञ्जना ॐ निरञ्जनायै नमः।
106 हंसासना ॐ हंसासनायै नमः।
107 नीलजङ्घा ॐ नीलजङ्घायै नमः।
108 ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ॐ ब्रह्मविष्णुशिवान्मिकायै नमः।


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04:21 PM, 05-Feb-2022
51 शिवा ॐ शिवायै नमः।
52 जटिला ॐ जटिलायै नमः।
53 विन्ध्यवासा ॐ विन्ध्यावासायै नमः।
54 विन्ध्याचलविराजिता ॐ विन्ध्याचलविराजितायै नमः।
55 चण्डिका ॐ चण्डिकायै नमः।
56 वैष्णवी ॐ वैष्णव्यै नमः।
57 ब्राह्मी ॐ ब्राह्मयै नमः।
58 ब्रह्मज्ञानैकसाधना ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः।
59 सौदामिनी ॐ सौदामिन्यै नमः।
60 सुधामूर्ति ॐ सुधामूर्त्यै नमः।
61 सुभद्रा ॐ सुभद्रायै नमः।
62 सुरपूजिता ॐ सुरपूजितायै नमः।
63 सुवासिनी ॐ सुवासिन्यै नमः।
64 सुनासा ॐ सुनासायै नमः।
65 विनिद्रा ॐ विनिद्रायै नमः।
66 पद्मलोचना ॐ पद्मलोचनायै नमः।
67 विद्यारूपा ॐ विद्यारूपायै नमः।
68 विशालाक्षी ॐ विशालाक्ष्यै नमः।
69 ब्रह्मजाया ॐ ब्रह्मजायायै नमः।
70 महाफला ॐ महाफलायै नमः।
71 त्रयीमूर्ती ॐ त्रयीमूर्त्यै नमः।
72 त्रिकालज्ञा ॐ त्रिकालज्ञायै नमः।
73 त्रिगुणा ॐ त्रिगुणायै नमः।
74 शास्त्ररूपिणी ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः।
75 शुम्भासुरप्रमथिनी ॐ शुम्भासुरप्रमथिन्यै नमः।

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04:18 PM, 05-Feb-2022
26 महापाशा ॐ महापाशायै नमः।
27 महाकारा ॐ महाकारायै नमः।
28 महाङ्कुशा ॐ महाङ्कुशायै नमः।
29 सीता ॐ सीतायै नमः।
30 विमला ॐ विमलायै नमः।
31 विश्वा ॐ विश्वायै नमः।
32 विद्युन्माला ॐ विद्युन्मालायै नमः।
33 वैष्णवी ॐ वैष्णव्यै नमः।
34 चन्द्रिका ॐ चन्द्रिकायै नमः।
35 चन्द्रवदना ॐ चन्द्रवदनायै नमः।
36 चन्द्रलेखाविभूषिता ॐ चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः। 
37 सावित्री ॐ सावित्र्यै नमः।
38 सुरसा ॐ सुरसायै नमः।
39 देवी ॐ देव्यै नमः।
40 दिव्यालङ्कारभूषिता ॐ दिव्यालङ्कारभूषितायै नमः। 
41 वाग्देवी ॐ वाग्देव्यै नमः।
42 वसुधा ॐ वसुधायै नमः।
43 तीव्रा ॐ तीव्रायै नमः।
44 महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः।
45 महाबला ॐ महाबलायै नमः।
46 भोगदा ॐ भोगदायै नमः।
47 भारती ॐ भारत्यै नमः।
48 भामा ॐ भामायै नमः।
49 गोविन्दा ॐ गोविन्दायै नमः।
50 गोमती ॐ गोमत्यै नमः।

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04:03 PM, 05-Feb-2022
सरस्वती 108 नाम मंत्र जाप 

1 सरस्वती ॐ सरस्वत्यै नमः।
2 महाभद्रा ॐ महाभद्रायै नमः।
3 महामाया ॐ महमायायै नमः।
4 वरप्रदा ॐ वरप्रदायै नमः।
5 श्रीप्रदा ॐ श्रीप्रदायै नमः।
6 पद्मनिलया ॐ पद्मनिलयायै नमः।
7 पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।
8 पद्मवक्त्रगा ॐ पद्मवक्त्रायै नमः।
9 शिवानुजा ॐ शिवानुजायै नमः।
10 पुस्तकधृत ॐ पुस्त कध्रते नमः।
11 ज्ञानमुद्रा ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः।
12 रमा ॐ रमायै नमः।
13 परा ॐ परायै नमः।
14 कामरूपा ॐ कामरूपायै नमः।
15 महाविद्या ॐ महाविद्यायै नमः।
16 महापातक नाशिनी ॐ महापातक नाशिन्यै नमः।
17 महाश्रया ॐ महाश्रयायै नमः।
18 मालिनी ॐ मालिन्यै नमः।
19 महाभोगा ॐ महाभोगायै नमः।
20 महाभुजा ॐ महाभुजायै नमः।
21 महाभागा ॐ महाभागायै नमः।
22 महोत्साहा ॐ महोत्साहायै नमः।
23 दिव्याङ्गा ॐ दिव्याङ्गायै नमः।
24 सुरवन्दिता ॐ सुरवन्दितायै नमः।
25 महाकाली ॐ महाकाल्यै नमः।

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03:40 PM, 05-Feb-2022
बसंत पंचमी की  कथा 
उपनिषदों की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान शिव की आज्ञा से भगवान ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। लेकिन अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे, उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। 

तब ब्रह्मा जी ने इस समस्या के निवारण के लिए अपने कमण्डल से जल अपने हथेली में लेकर संकल्प स्वरूप उस जल को छिड़कर भगवान श्री विष्णु की स्तुति करनी आरम्भ की। ब्रम्हा जी के किये स्तुति को सुन कर भगवान विष्णु तत्काल ही उनके सम्मुख प्रकट हो गए और उनकी समस्या जानकर भगवान विष्णु ने आदिशक्ति दुर्गा माता का आव्हान किया। विष्णु जी के द्वारा आव्हान होने के कारण भगवती दुर्गा वहां तुरंत ही प्रकट हो गयीं तब ब्रम्हा एवं विष्णु जी ने उन्हें इस संकट को दूर करने का निवेदन किया।

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ब्रम्हा जी तथा विष्णु जी बातों को सुनने के बाद उसी क्षण आदिशक्ति दुर्गा माता के शरीर से स्वेत रंग का एक भारी तेज उत्पन्न हुआ जो एक दिव्य नारी के रूप में बदल गया। यह स्वरूप एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिनके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ में वर मुद्रा थे । अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। आदिशक्ति श्री दुर्गा के शरीर से उत्पन्न तेज से प्रकट होते ही उन देवी ने वीणा का मधुरनाद किया जिससे संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब सभी देवताओं ने शब्द और रस का संचार कर देने वाली उन देवी को वाणी की अधिष्ठात्री देवी "सरस्वती" कहा।

ब्रह्मा जी की आज्ञा के अनुसार सरस्वती जी ने वीणा के तार झंकृत किए, जिससे सभी प्राणी बोलने लगे, नदियां कलकल कर बहने लगी हवा ने भी सन्नाटे को चीरता हुआ संगीत पैदा किया। तभी से बुद्धि व संगीत की देवी के रुप में सरस्वती की पूजा की जाने लगी।

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03:15 PM, 05-Feb-2022
इस समय मां सरस्वती होती हैं जिव्हा पर विराजमान 

स्वर, संगीत, ध्वनी, वाणी की देवी सरसवती के प्रति मान्यता है की हर 24 घंटे में किसी समय देवी सरस्वती मनुष्य की वाणी में विराजमान होती हैं और इसी कारण से भारतीय परिवारों में यह कई बार सुनने में आता है की कभी मुख से कोई गलत बात न निकालें क्योंकि क्या पता कब जिव्हा पर सरस्वती विद्यमान हों और हमारी कही गलत बात सत्य सिद्ध हो जाए जो हमारे जीवन को कष्टमय बना डाले इसलिए कहा जाता है की सदैव शुद्ध वचनों का पालन करना चाहिए जिससे की समस्त जगत का कल्याण संभव हो पाए. 

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02:52 PM, 05-Feb-2022
सरस्वती के प्रभाव को भगवान राम ने भी नमन किया 

वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती के प्रभाव से ही महाकाव्यों का सुत्रधार संभव हो पाया. रामायण कथा अनुसार अगर राम के राज्य अभिषेक से पूर्व यदि मंथरा की बुद्धि एवं मुख में सरस्वती विराजमान न होती तो राम का चौदह वर्ष का वनवास न होता और यदि भगवान राम उस वनवास को न पाते तो रावण का नाश नहीं संभव था अत: सृष्टि के स्म्चालन में देवी सरस्वती का प्रभाव अत्यंत गहरा रहा है. 

मुफ़्त में जानें अपनी कुंडली में ग्रहों की स्थिति, कुंडली देखें
02:27 PM, 05-Feb-2022
तुला राशि -  किसी धार्मिक पुस्तक को सफेद वस्त्र के साथ दान कर दें। ब्राह्मण की कन्या को पूज कर, मिठाई खिलाएँ। “ॐ ऐं नम:” का जाप लाभकारी होगा।
 
वृश्चिक राशि - माता सरस्वती की प्रतिमा/मूर्ति का पूजन कर श्वेत रेशमी वस्त्र चढ़ाएँ। कम उम्र की कन्याओं का पूजन कर सफ़ेद रंग की मिठाई खिलाएँ। “ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:” का जाप करना बेहद कल्याणकारी होगा।
 
धनु राशि - माता सरस्वती की प्रतिमा का पूजन करके सफ़ेद चंदन चढ़ाएँ और सफ़ेद वस्त्र दान करने से बुद्दिमत्ता बढ़ेगी।

मुफ़्त में जानें अपनी कुंडली में ग्रहों की स्थिति, कुंडली देखें

मकर राशि - ब्रह्म मुहूर्त के समय ब्राह्मी खाने से सफलता दरवाज़ा खटखटाएगी। ब्राह्मी को “ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:” जपते हुए पिएँ।
 
कुंभ राशि - माँ सरस्वती की प्रतिमा का पूजन कर कम उम्र की कन्याओं को घर बुलाकर खीर खिलाएँ, दान दें और “ॐ ऐं नम:” का जाप करें।
 
मीन राशि - अपामार्ग (अज्जाझारा) की जड़ को विधिवत् निकालकर “ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:” की ग्यारह स्फटिक माला से अभिमंत्रित कर सफेद वस्त्र लपेटकर बाँह में बाँध लें।
 
वसंत पंचमी को करें माँ सरस्वती का पूजन और पाएँ मनचाहा वरदान
 
01:52 PM, 05-Feb-2022
तो आइए जानते हैं राशि अनुसार उपाय जिनसे होगा आपको लाभ ही लाभ….
 
मेष राशि- हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी के मंदिर जाकर पूजा करने के पश्चात् प्रतिमा के दाएँ पैर का सिन्दूर वसंत पंचमी से प्रतिदिन “एं” का जाप करते हुए अपने माथे पर तिलक लगाएँ।
 
वृषभ राशि- 22 इमली के पत्ते लें। आधे पत्ते माँ सरस्वती की प्रतिमा पर अर्पित करें और आधे सफ़ेद वस्त्र में बाँधकर अपने पास रख लें। लाभकारी सिद्ध होगा।

मिथुन राशि- भगवान गणेश के मंदिर जाकर उनका पूजन करें। 21 दूर्वादल के बीज “ॐ गं गणपतये नम:” का जाप करते हुए भाव पूर्वक उन्हें अर्पित करें। बुद्धि का तेज बढ़ेगा।

कर्क राशि- माता सरस्वती की मूर्ति या प्रतिमा पर 21 आम के बौर चढ़ाएँ। बौर चढ़ाते समय “ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:” जाप करें और शुभ मनोकामना माँगे, पूरी होगी।
 
सिंह राशि - प्रातः काल सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात् गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें, अत्यधिक लाभ होगा।
 
कन्या राशि - किसी धार्मिक या आध्यात्मिक पुस्तक को “ॐ ऐं नम:” मंत्र का जाप करते हुए दान करें, बहुत लाभ होगा।

 
01:34 PM, 05-Feb-2022
वसंत पंचमी को करें उपाय, माँ सरस्वती दिलाएँगी विद्या, सुख, वैभव और यश

माता सरस्वती की जयंती अर्थात् वसंत पंचमी को माँ सरस्वती को प्रसन्न कर हम माता लक्ष्मी को भी प्राप्त कर सकते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की मूर्ति या प्रतिमा पर आम का बौर चढ़ाना बड़ा ही शुभ होता है। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है। वसंत पंचमी को स्फटिक की माला से 108 बार “ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:” का जाप करने के पश्चात् कन्याओं को दूध द्वारा निर्मित मिठाई भाव पूर्वक खिलानी चाहिए। अच्छी सेहत हेतु 'ॐ जूं स:' तथा धन वृद्धि हेतु 'ॐ श्रीं नम:' या 'ॐ क्लीं नम:' का जाप करना लाभकारी रहता है।
01:12 PM, 05-Feb-2022
सरस्वती चालिसा 

वाणी, ज्ञान, संगीत, कला की अधिष्ठात्रि देवी सरस्वती जी प्रकृति के आनंद एवं रस की देवी हैं. चेतना के मुक्त प्रवाह का प्रतिनिधित्व करती हैं.  वह वेदों की जननी हैं, और उन्हें निर्देशित मंत्र, जिन्हें 'सरस्वती वंदना' "सरस्वती चालिसा" के रुप में जाता है, मान्यता है कि देवी सरस्वती मनुष्य को वाणी, ज्ञान और विद्या की शक्तियों से संपन्न करती हैं. सरस्वती चालिसा का पाठ करके बुद्धि ओर ज्ञान को प्राप्त करना अत्यंत सरल होता है . देवी सरसवती चालीसा का गुणगान मनुष्य को भाषण, ज्ञान और सीखने की शक्ति प्रदान करता है. 

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सरस्वती चालीसा -

॥ दोहा ॥

जनक जननि पद कमल रज, निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
रामसागर के पाप को, मातु तुही अब हन्तु॥

बसंत पंचमी कल : जानें सरस्वती पूजा विधि एवं सटीक शुभ मुहूर्त


॥ अथ चौपाई ॥

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥
जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुजधारी माता। सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती। जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥
तबहि मातु ले निज अवतारा। पाप हीन करती महि तारा॥

बाल्मीकि जी थे हत्यारा। तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामायण जो रचे बनाई। आदि कवी की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता। तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्धाना। भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा। केवल कृपा आपकी अम्बा॥

बसंत पंचमी के दिन ही हुई थी भगवान शिव और पार्वती की सगाई

करहु कृपा सोइ मातु भवानी। दुखित दीन निज दासहि जानी ॥
पुत्र करै अपराध बहूता। तेहि न धरइ चित सुन्दर माता॥
राखु लाज जननी अब मेरी। विनय करूं बहु भांति घनेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा। कृपा करउ जय जय जगदंबा॥

मधु कैटभ जो अति बलवाना। बाहुयुद्ध विष्णू ते ठाना॥
समर हजार पांच में घोरा। फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा॥
मातु सहाय भई तेहि काला। बुद्धि विपरीत करी खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी। पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता। छण महुं संहारेउ तेहि माता॥
रक्तबीज से समरथ पापी। सुर-मुनि हृदय धरा सब कांपी॥
काटेउ सिर जिम कदली खम्बा। बार बार बिनवउं जगदंबा॥
जग प्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा। छिन में बधे ताहि तू अम्बा॥

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12:46 PM, 05-Feb-2022
सरस्वती वंदना मंत्र 
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥

सरस्वती मंत्र 
'सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:। वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च।।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।। '

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12:28 PM, 05-Feb-2022
सरस्वती मंत्र
ऊँ ऐं महासरस्वत्यै नमः।।

विद्या उपदेश मंत्र
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै नमः।।

सरस्वती ज्ञान प्राप्ति मंत्र 
वद वद वाग्वादिनी स्वाहा ll

 सरस्वती गायत्री मंत्र 
ॐ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्र्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्। 

सरस्वती एकादशाक्षर मंत्र 
ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।

सरस्वती शाबर मंत्र 
ॐ नमो सरस्वती विद्या नमो कंठ विराजो आप भुला अक्षर कंठ करें हृदय विराजो आप ॐ नमो स्वः ठ:ठ:ठ: ।
 
12:04 PM, 05-Feb-2022
बसंत पंचमी का पर्व शनिवार के दिन आना एक अत्यंत शुभ एवं महत्वपूर्ण समय को दर्शाता है. इस समय शनि देव कर्मफलदाता का प्रभाव ज्ञान के साथ मिलकर अदभुत फलों को प्रदान करने वाला होगा. इस समय शनि देव मकर राशि में सूर्य, बुध के साथ त्रिग्रही योग में भी हैं सूर्य जो आत्मा है ज्ञान का प्रकाश है ओर बुध जो बुद्धि का मूल तत्व बनता है उसी के साथ शनि देव स्थित हैं और बसंत पंचमी सरस्वती जी का समय है वह भी शनिवार के दिन पर हो रहा है तो ऎसे में ज्ञान की भरपूरता का योग बन रहा है कर्मफल प्रदान करने वाले शनिदेव के साथ यह एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण योग है जो कई वर्षों के पश्चात बना है. इस समय पर शनि देव क अपूजन करने से शनि से संबंधित समस्त कष्ट दूर होंगे ओर साथ ही देवी सरस्वती का पूजन करने पर ज्ञान में भी शुभता का आगमन होगा और हमारे ज्ञान को सत्य का प्रकाश प्रदान होता है जो शनि देव न्याय स्वरुप आज सरस्वती के साथ मौजूद होकर सभी  के कल्याण हेतु आशीर्वाद प्रदान करेंगे.

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