19 अगस्त को जन्माष्टमी व्रत रखने वाले 20 अगस्त को शुभ मुहूर्त में व्रत खोलें. जन्माष्टमी व्रत का पारण अष्टमी तिथि के समापन के बाद किया जाता है, हालांकि कुछ जगह रात्रि में बाल गोपाल की पूजा करके व्रत का पारण कर लेते हैं. आपकी मान्यता अनुसार व्रत का पारण करें.
व्रत पारण समय- 19 अगस्त, रात्रि 10 बजकर 59 मिनट के बाद
व्रत पारण समय - 20 अगस्त को प्रातः 05:45 बजे के बाद
जन्माष्टमी का पर्व बेहद पवित्र पर्व है. इस दिन मांस मदिरा का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इस दिन तामसिक चीजों का सेवन न करें.
घर में जन्माष्टमी कैसे बनाएंश्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व घरों में भी मनाने की परंपरा है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ी झांकियां सजाई जाती है. पूजा अर्चना की जाती है. एक तरह से भगवान श्रीकृष्ण के जन्म को उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
जन्माष्टमी के दिन कान्हा को पीले चंदन या फिर केसर का तिलक लगाएं. श्रृंगार में मोर के मुकुट और बांसुरी का इस्तेमाल जरूर करें. इसके बाद उन्हें पुष्प, फल, पंजीरी,चरणामृत अर्पित करें और प्रसाद में तुलसी दल चढ़ाएं.
भक्त जन्माष्टमी के दिन उपवास रखते हैं. व्रत के दौरान फलाहार किया जा सकता है. रात में 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. मान्यताओं के अनुसार बाल गोपाल का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था. इसलिए जन्माष्टमी की मध्यरात्रि को घर में मौजूद लड्डू गोपाल की प्रतिमा का जन्म कराया जाता है. फिर उन्हें गंगा जल से स्नान कराया जाता है. इसके बाद उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाते हैं. अब फूल माला अर्पित कर धूप-दीप जलते हैं और उनका नमन वंदन करते हैं. उन्हें दूध-दही, मक्खन आदि अर्पित करते हैं. पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरित करते हैं.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैजन्माष्टमी 2022 व्रत पूजा का मुहूर्त
इस साल आज जन्माष्टमी पर रात 12 बजकर 03 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 47 मिनट तक नीशीथ काल रहेगा. यानी भगवान श्री कृष्ण की मध्यरात्रि पूजा के लिए 44 मिनट का शुभ मुहूर्त रहेगा. इस मुहूर्त में भगवान कृष्ण की पूजा करना बेहद शुभ फलदायी होगा. ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस साल जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा के लिए 44 मिनट का विशेष मुहूर्त बन रहा है.
जानें पूरी दुनिया में कहां-कहां स्थित हैं भगवान श्रीकृष्ण के भव्य मंदिर