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Skanda Sashti 2024: कब रखा जाएगा ज्येष्ठ माह की स्कंद षष्ठी का व्रत, जानें कार्तिकेय पूजा महत्व

Acharya RajRani Updated 10 Jun 2024 11:15 AM IST
स्कंद षष्ठी
स्कंद षष्ठी - फोटो : myjyotish

खास बातें

Skanda Shashthi of Jyeshtha month : ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का व्रत होता है। स्कंद षष्ठी पूजन करने से व्यक्ति को भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद मिलता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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Skanda Shashthi of Jyeshtha month : ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का व्रत होता है। स्कंद षष्ठी पूजन करने से व्यक्ति को भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद मिलता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

Skanda Sashti Vrat : ज्येष्ठ माह में आने वाली स्कंद षष्ठी के दिन भगवान स्कंद के पूजन द्वारा संतान सुख, रोगों से मुक्ति एवं विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइये जान लेते हैं 12 जून को मनाई जाने वाली स्कंद षष्ठी का पूजन और व्रत नियम। 


ज्येष्ठ माह स्कंद षष्ठी पूजा 2024 

पंचांग अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। इस दिन व्रत करने से सुख एवं विजय श्री की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस साल 12 जून 2024 को स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाएगा। 

हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान स्कंद जिन्हें कार्तिकेय भी कहा जाता है उनकी पूजा की जाती है। इस दिन शिव परिवार के पूजन से सुखी परिवार एवं संतान सुख की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में इस दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय की पूजा भी जीवन से जुड़ी सभी बाधाओं को दूर करती है। 


ज्येष्ठ माह स्कंद षष्ठी व्रत अनुष्ठान 

हिंदू मान्यता के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी तिथि पर इस व्रत को किया जाता है। भगवान स्कंद के लिए व्रत और पूजा करने से भक्त को मनचाहा फल मिलता है। इस पावन तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था, यही कारण है कि इस तिथि को स्कंद षष्ठी के नाम से पुकारा जाता है। इस दिन भक्त विधि-विधान से स्कंद भगवान की पूजा करते हैं। भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत उत्तर भारत के साथ ही दक्षिण भारत में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 

दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के नाम से पूजा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान मुरुगन देवताओं के सेनापति हैं, जो अपने भक्तों को बड़े से बड़े संकट से बाहर निकाल लेते हैं। यह व्रत सुख, सौभाग्य और सफलता का आशीर्वाद देता है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है। भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए स्कंद षष्ठी व्रत बहुत शुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी कहा जाता है।
 

स्कंद षष्ठी व्रत के लाभ 

स्कंद षष्ठी व्रत करने से व्यक्ति को भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

ज्येष्ठ मास में स्कंद षष्ठी के दिन भगवान स्कंद की पूजा करने से संतान सुख, रोगों से मुक्ति और विजय का आशीर्वाद मिलता है। स्कंद षष्ठी की पूजा और व्रत नियम बेहद विशेष होते हैं।  

इस दिन व्रत करने से सुख और विजय की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। हिंदू धर्म में भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान स्कंद जिन्हें कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है, की पूजा की जाती है।

इस दिन शिव परिवार की पूजा करने से परिवार में खुशहाली आती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में इस दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से जीवन से जुड़ी सभी बाधाएं भी दूर होती हैं।


स्कंद षष्ठी स्त्रोत 

स्कन्द उवाच ।
योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः ।
स्कन्दः कुमारः सेनानीः स्वामी शङ्करसम्भवः ॥ १॥

गाङ्गेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः ।
तारकारिरुमापुत्रः क्रौञ्चारिश्च षडाननः ॥ २॥

शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः ।
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः ॥ ३॥

शरजन्मा गणाधीशपूर्वजो मुक्तिमार्गकृत् ।
सर्वागमप्रणेता च वाञ्छितार्थप्रदर्शनः ॥ ४॥

अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीतियः पठेत् ।
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥ ५॥

महामन्त्रमयानीति मम नामानुकीर्तनम् ।
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥ ६॥

॥ इति श्रीरुद्रयामले प्रज्ञाविवर्धनाख्यं
श्रीमत्कार्तिकेयस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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