Kojagari Puja
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आश्विन माह समय पूर्णिमा तिथि का समय धन कि देवी लक्ष्मी के पूजन का होता है. इस दिन को कोजागरी व्रत या कोजागर पूर्णिमा रुप में मनाते हैं. इस दिन धन एवं सुख पाने के लिए भक्त माता लक्ष्मी क अपूजन करते हैं. इस दिन की जाने वाली पूजा से हर संकट भी दूर होते हैं.
अक्टूबर माह में मनाई जाएगी कोजागरी व्रत की पूजा के दौरान चंद्रमा का पूजन भी होता है. इस दिन को चांदनी रात में अमृत की वर्षा के रुप में भी जाना जाता है. यह शुभ दिन शरद पूर्णिमा के साथ-साथ कोजागरी व्रत का शुभ समय होता है.
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मानसिक शुभता का मिलता है सुख
कोजागर पूर्णिमा जहां धन प्रदान करती हैं वहीं मानसिक रुप से सुख देती है. इस दिन किए जाने वाला व्रत भौतिक रुप से समस्त सुख तो देता है वहीं आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक शांति भी देता है.
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूर्णिमा और कोजागरी व्रत का योग कष्टों को दूर करता है. स्वास्थ्य के सुख के साथ समृद्धि और खुशहाली का सुख भी मिलता है समस्त प्रकार की कामना का पूर्ण होने का समय होता है.
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कोजागर व्रत लाभ और महत्व
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को बहुत ही शुभ माना गया है. रयह दिन कष्ट दूर करने वाला होता है व्याधी हो तो वह दूर हो जाती है. गरीबी दूर होती है जीवन में समृद्धि आती है. खुशहाली की कामना को नए रंग मिलते हैं. 28 अक्टूबर को पूर्णिमा के साथ-साथ कोजागरी व्रत की पूजा और उत्सव का दिन होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कोजागरी व्रत की पूर्णिमा निशिथ व्यापिनी होनी शुभ होती है.
रात्रि के समय माता लक्ष्मी भक्तों को सुख प्रदान करती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी यह समय विशेष होता है. कहा जाता है की शरद पूर्णिमा के समय पर चंद्रमा पूरे वर्ष में अपनी सोलहवीं कला में तो होता है लेकिन साथ ही अमृत तुल्य सुख प्रदान करता है. इसी विशेषता के कारण इस दिन को बहुत शुभ माना गया है.
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देवी लक्ष्मी का मिलता है आशीर्वाद
धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के समय पर देवी लक्ष्मी ऐरावत पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं. इस रात भ्रमण करते हुए वह भक्तों को सुख देती हैं. इस दिन व्रत और पूजा करने वाले भक्तों को यश, कीर्ति और समृद्धि का आशीर्वाद भी देवी से प्राप्त होता है.