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जानिए क्यों लगाए जाते हैं मंदिरों और घरों में ध्वज, क्या होता है ध्वजा दर्शन का महत्व

My jyotish expert Updated 09 Aug 2021 02:04 PM IST
ध्वजा दर्शन का महत्व
ध्वजा दर्शन का महत्व - फोटो : Google
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हमारा जीवन हमेशा एक समान नहीं रहता है। एक उतार चढ़ाव का दौर लगा रहता है। कई बार हमें किसी आकस्मिक घटना का पता नहीं लगता है कि कब किस कारण हुआ है। कुछ स्थिति किसी एक इंसान के लिए अच्छा होता तो किसी के लिए थोड़ा कष्टदायक हो जाता है।
ज्योतिष से परामर्श के बाद यह बात सामने आई कि मंदिर के साथ साथ मंदिर के शिखर पर लगे ध्वज से भी हमारे जीवन के बहुत कष्ट दूर हो सकते है।
ग्रह गतिमान है और समय समय पर ग्रह अपनी स्थिति बदलते रहते है। ग्रहों की स्थिति का सीधा संबंध हमारे जीवन में हो रहे फेरबदल से है। विज्ञान के अनुसार ग्रह जिन पांच तत्वों से बना है,लगभग उन्हीं पांच तत्वों से हमारे शरीर का भी निर्माण हुआ है। आपको बता दे कि इस पर हमारे ज्योतिष विज्ञान के जानकार का कहना है कि ज्योतिष विज्ञान तो पहले से ही कहता आया है ,पर आज  वह बात विज्ञान भी मानता है कि ग्रहों का प्रभाव पंच तत्वीय शरीर पड़ता है।
हम अक्सर मंदिर जाते है और पूजा अर्चना करते है , लेकिन मंदिर के बाहर के परिसर में मंदिर के शिखर पर लगे ध्वजा पर ध्यान नहीं दे पाते है। आपको बता दे कि हमारे शास्त्रों में शिखर दर्शन ध्वजा को संपूर्ण दर्शन का फल प्राप्त होने का कहा गया है। सम्पूर्ण ऊर्जा का केंद्र जिस प्रकार मनुष्य का सहसत्रधार चक्र होता है,उसी प्रकार मंदिर का सर्वोच्च भाग ध्वजा भी आकाशीय ब्रह्मांड ऊर्जा का एक प्रकार का टावर होता है।
ग्रहों की स्थिति बदलती रहती है, इसीलिए इंसान के  जीवन में  भी कुछ न कुछ हलचल लगी रहती है । इंसान या तो अपने या अपनों की शारिरिक पीड़ा के विकार से ग्रस्त रहता है। रिश्तों में आए मनमुटाव और विवाद इन सभी विकारो के लिए कहीं ना कहीं ग्रह भी  जिम्मेदार होते हैं। आइए जानते हैं किसी मंदिर की ध्वजारोहण से हम ग्रहों की मारक शक्ति या अपनी सहन शक्ति कैसे बढ़ाएं। अलग-अलग रिश्तों के नाम से  ध्वजा लगवाना भी एक ग्रह विज्ञान है।

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सूर्य- सूर्य ग्रह पिता, और ह्रदय के कारक ग्रह हैं। पिता के साथ संबंध में खटास हो और सूर्य के विकार से  पीड़ित हो, तब पिता के नाम से ध्वजा लगाएं। 

चंद्र- चाँद  मन, माता का और फेफड़े संबंधी विकारों का कारक ग्रह है। अगर आप चंद्र ग्रह के विकार से पीड़ित है तो अपनी माता के नाम से ध्वजा लगाए।

मंगल- मंगल ग्रह  रक्त, क्रोध और भाई से सम्बन्धित समस्या का कारक ग्रह होता है। भाईयों के बीच विवाद या फिर  क्रोध अधिक हो, रक्त संबंधी विकार होने पर अपने भाई के नाम से ध्वजा लगवाने पर लाभ होगा। । 

बुध- माना जाता है कि बुध ग्रह त्वचा और ज्ञान का कारक ग्रह माना जाता  है। अगर आपको  आंत संबंधी विकार हो तो फिर  पर अपने मामा के नाम से ध्वजा लगवाएं। 

गुरु- गुरु पति-पत्नी और बच्चे का कारक ग्रह है। साथ ही अपने नाम के अनुसार आध्यात्मिक गुरु भी इसमें आता है। गुरु पीड़ित होने पर अपने पति बच्चे या आध्यात्मिक गुरु के नाम से ध्वजा लगवाएं। 

शुक्र- शुक्र ग्रह सुख समृद्धि, सेक्स और ऐश्वर्य  का कारक ग्रह होता है। यौन संबंधित समस्या  होने पर या शुक्र ग्रह पीड़ित होने पर पत्नी के नाम से या अपनी कुल देवी के नाम से ध्वजा लगवाना लाभकारी होता है । 

शनि-  शनि ग्रह के प्रकोप से अगर आप  पीड़ित है या बार बार नौकरी से संबंधित समस्या आ रही है, कार्य में देरी, घुटनों में दर्द और  साढ़ेसाती के वक्त कानूनी दांव पेंच में फंस रहे हो तो अपने घर के सबसे पुराने नौकर के नाम से या घर के बुजुर्ग के नाम से ध्वजा लगवाने से आराम मिलता है। 

राहु- राहु ग्रह हमारे मोह को दर्शाता है , इसके अलावा नशा, जुआ, शराब की लत राहु देव की पीड़ित होने की निशानी है। इससे निजात पाने के लिए दादा जी  के नाम से ध्वजा लगाए।

केतु- केतु ग्रह  हमारे व्यवसाय या नौकरी में अस्थिरता, कोई गंभीर बीमारी  और छुपा रोग का कारक है। इसके उपाय के लिए नानाजी के नाम से ध्वजा लगवाएं। 

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मंदिर में जाकर हम अपने आराधय के आगे हाथ जोड़कर अपनी समस्याओं के समाधान की प्रार्थना करते है। उस ईश्वरीय सत्ता से आध्यत्मिक रूप से जुड़ने का प्रयास करते है ,लेकिन कभी किसी कारणवश अगर मंदिर ना जा पाए तो हम मंदिर के  शिखर ध्वजा दर्शन कर ऊर्जा केंद्र का अनुभव करते है। हवा में एक ओर लहराता ध्वज केतु ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। कोई ग्रह आपके लिए खराब तो बच्चे के लिए अच्छा हो सकता है। किसी ग्रह को दोष ना दें। उपाय ज्योतिष के माध्यम से प्राप्त करें।

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