पौष पूर्णिमा का महत्व
भारत के विश्वप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, हिंदू परंपराओं में पौष पूर्णिमा का माह पवित्र माह होता है, इस दिन सूर्य देवता की उपासना और पवित्र नदियों में स्नान का काफी महत्व होता है। इस माह सूर्य देवता की उपासना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।इस दिन चंद्रमा और सूर्य का अद्भभुत मिलन होता है। इस वजह से इसका महत्व बहुत बढ़ जाता है। पौष पूर्णिमा के दिन व्रत और स्नान करने से सभी मनोकामना पूरी होती है साथ ही जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। पौष पूर्णिमा पर्व पर स्नान करने के बाद दान करने का भी महत्व होता है।
पौष पूर्णिमा के दिन कहां करें स्नान और क्या है व्रत की विधि
पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार के घाटों पर स्नान करना शुभ माना जाता है। स्नान करने के बाद दान देने का काफी महत्व है और साथ ही सूर्य देवता को विधि विधान से अर्घ्य देना जीवन में सभी परेशानियों को दूर कर सकता है, जो लोग इन पवित्र स्थानों पर स्नान करने नहीं जा सकते है वो अपने ज्योतिषियों से परामर्श लेकर पौष पूर्णिमा का लाभ उठा सकते है। इसके लिए टेलीफोन परामर्श आपकी सहायता कर सकता है।
व्रत की विधि
पौष पूर्णिमा की सुबह स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें, फिर पवित्र नदी में स्नान करें, इसके बाद सूर्य देवता को प्रणाम करें और सूर्य देवता का मंत्र उच्चारण करें स्नान के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य दें। इसके बाद जरूरतमंदों को दान करें या भोजन करायें। हो सके तो आप कपड़े दान कर सकते हैं।
2020 पौष पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 2020 पौष पूर्णिमा पर्व 10 जनवरी का है। इसका शुभ आरंभ 10 जनवरी रात 2:30 बजे से 11 जनवरी रात 12:30 तक है। इस मुहूर्त के बीच अगर आप स्नान और दान करते हैं तो आपको मनवांछित फल प्राप्त होगा।
पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए पौष पूर्णिमा पर ओड़िसा के जगन्नाथ मंदिर में कराएं भगवान विष्णु की ये पूजा-
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