विज्ञापन
विज्ञापन
बसंत पंचमी पर क्यों रंग जाता है, सब कुछ पीले रंग में-
खेतों में लहलहाते पीले सरसों के फूल देखकर बरवस ही मन में एक उमंग जगने लगती है । अपने नाम की तरह ही हमारे मन में भी एक बंसत का आगाज करती है बंसत पंचमी.... इसलिए बसंत पंचमी पर पीले रंग का विशेष महत्व माना गया है। पीले वस्त्र, पीले रंग के खाने को महत्ता दी जाती है। वहीं सूर्य के उत्तरायण के चलते भी इस दिन पीले रंग का महत्व बढ़ जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने का भी रिवाज है। पंचमी के दिन कुछ लोग पीला गुलाल भी उड़ाते हैं, क्योंकि इस दिन से होली के उत्सव का आरंभ भी माना जाता है। और इस दिन ही होलिका का डांड भी लगाया जाता है।
क्यों करते हैं इस दिन मां सरस्वती की पूजा-
सरस्वती मां को ज्ञान, कला और संगीत की देवी कहते हैं। माना जाता है कि मां सरस्वती की उत्पत्ति बसंत पंचमी के दिन हुई थी। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान बढ़ता है। क्योंकि मां सरस्वती संगीत के साथ ही वाणी और ज्ञान की देवी भी हैं। इस दिन इनकी आराधना करने से शिक्षा के साथ, कला के क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त होती है। इस दिन केवल विद्यार्थियों को ही नहीं बल्कि सभी जातको को सुबह सूर्योदय के समय उठकर मां की पूजा सच्चे मन से करनी चाहिए। मां सरस्वती अपने भक्तों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती हैं।
बंसत पंचमी के दिन अक्षर दान पूजा-
इस दिन अक्षरदान की परंपरा का भी रिवाज है। आज पंचमी के दिन लोग अपने बच्चों के लिए अक्षर पूजा करवाते हैं। अक्षर पूजा भारत की एक प्रमुख परंपरा है। इस पूजा को बच्चे की शिक्षा शुरू होने से पहले करवाया जाता है। इस पूजा को करवाने से बच्चे की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आती है। जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता या वह पढ़ाई में कमजोर हैं तो इस दिन पूजा करवाने से ज्ञान की देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।
अगर आप भी पाना चाहते है मां सरस्वती की कृपा तो बसंत पंचमी पर करवाएं बसरा सरस्वती मंदिर में पूजा
बसंत पंचमी का महत्व-
बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरूआत हो जाती है। जिस तरह से बसंत ऋतु में प्रकृति में कई तरह के परिवर्तन होते हैं, उसी तरह शरीर में भी कई तरह के परिवर्तन होते हैं, इसलिए बसंत ऋतु को प्यार, समर्पण और खुशियों का मौसम कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन से ही सभी मनुष्य शब्दों को ज्ञान से परिचित हुए थे। मान्यता है कि मां सरस्वती हमारे कंठ और जिह्वा पर निवास करती हैं। इस दिन बोले गए वचन शीघ्र सत्य होते हैं इसलिए हमें सयंम से तथा शुभ बोलना चाहिए। कहते हैं कि इसी दिन भगवान श्री राम अपनी भक्त शबरी के आश्रम गए थे।