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आज है महाद्वादशी जाने इस व्रत की महिमा और पाएं आशीर्वाद
एकादशी तिथि के अगले दिन द्वादशी तिथि का आगमन होता है जो श्री विष्णु पूजन का समय होता है. द्वादशी तिथि व्रत भी एकादशी की भांति ही सर्वकामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है. इस शुभ दिन पर, भगवान विष्णु के भक्त उपवास रखते हैं, व्रत एवं पूजा का पालन करते हैं और भगवान की स्तुति में भजन गाते हैं. ऐसा माना जाता है कि द्वादशी का पालन करने से समृद्धि आती है और पूर्व जन्म के पाप भी शांत होते हैं. द्वादशी को हिंदू संस्कृति में एक शुभ दिन माना जाता है. यह महीने के दो पक्ष कृष्ण और शुक्ल पक्ष के बारहवें दिन होता है.
आध्यात्मिक रूप से, द्वादशी इंद्रियों का प्रतीक भी है जो हमारी चेतना को जागृत करती है. इस दिन इंद्रियों को नियंत्रित करते हुए व्रत का पालन होता है तथा शुद्ध चित मन से भगवान की भक्ति की जाती है. प्रत्येक वर्ष में 24 प्रकार की द्वादशी होती हैं, जो सभी भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों से जुड़ी होती हैं. प्रत्येक व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन किया जाता है, जिनका पालन मानसिक ऊर्जा को सही दिशा में ले जाने और बुरे कर्मों से बचने के लिए किया जाता है.
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11 जून 2022 को द्वादशी व्रत का पालन किया जाएगा आज के दिन किया जाने वाला व्रत अत्यंत शुभ होगा क्योंकि आज के दिन कई दुर्लभ योगों का निर्माण भी हो रहा है. आज के दिन द्वादशी महा द्वादशी भी कहलाएगी. द्वादशी तिथि का लोप होने से आज के दिन एकादशी पर ही द्वादशी का व्रत आरंभ होगा और एकादशी का पारण होगा. इस प्रकार यह दिन विशेष होगा.
द्वादशी लाभ
द्वादशी व्रत का पालन करने तथा भगवान विष्णु को पूजा करने से संतान का आशीर्वाद मिल सकता है. भक्त द्वादशी की सुबह से उपवास शुरू करते हैं और अगली सुबह इसे समाप्त करते हैं. व्रत के दौरान उन्हें चावल, दाल, लहसुन और प्याज खाने की अनुमति नहीं है. जो लोग उपवास के सख्त नियमों का पालन नहीं कर सकते हैं वे दूध और फल खा सकते हैं. इस दिन मांसाहारी भोजन सख्त वर्जित होता है.
भाग्य मजबूत होता है
द्वादशी में तिल को दान में देना और सेवन करना अच्छा होता है. जो लोग इस दिन उपवास करते हैं उन्हें अपने भाग्य को मजबूत करना चाहते हैं उन्हें आज के दिन तिल, अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों का दान करना चाहिए. इस दिन की सत्यता 'अन्नदान' के महत्व पर भी प्रकाश डालती है. भक्तों को भोजन में दालें, अनाज या बीन्स नहीं खाना चाहिए और नारियल, अमरूद और कद्दू जैसे फल देवता को अर्पित करने चाहिए.
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विजय की प्राप्ति
परंपरागत रूप से, द्वादशी पर पूरे दिन का उपवास रखा जाता है और भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे पृथ्वी को बनाए रखते हैं. इस दिन पूजन द्वारा व्यक्ति को प्रत्येक कार्य में विजय का आशीर्वाद मिलता है. जीवन में उसे नकारात्मक तत्वों से भी मुक्ति मिलती है. इस प्रकार से प्रत्येक माह में आने वाली द्वादशी जीवन में अत्यंत शुभ फलों को प्रदान करने वाली होती है.