खास बातें
Vindhyavasini Puja 2024: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को विन्ध्यवासिनी षष्ठी पूजन होता है। इस दिन स्कंद षष्ठी के साथ ही देवी का पूजन भी किया जाता है। माता विन्ध्यवासिनी का व्रत रखा जाता है जिसके द्वारा भक्तों की कामनाएं पूर्ण होती हैं।
Vindhyavasini Puja 2024: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को विन्ध्यवासिनी षष्ठी पूजन होता है। इस दिन स्कंद षष्ठी के साथ ही देवी का पूजन भी किया जाता है। माता विन्ध्यवासिनी का व्रत रखा जाता है जिसके द्वारा भक्तों की कामनाएं पूर्ण होती हैं।
vindhyavasini puja importance : विन्ध्यवासिनी षष्ठी व्रत का व्रत आज 11 जून 2024 को रखा जाएगा। इस दिन मां विन्ध्यवासिनी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और माता के पूजन के सतह ही भगवान कृष्ण का पूजन भी किया जाता है। आइये जानें माता के पूजन एवं विशेष महत्व को विस्तारपूर्वक।
विंध्यवासिनी षष्ठी पूजा 2024 vindhyavasini puja
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन देवी पूजन किया जाता है। इस तिथि को विंध्यवासिनी षष्ठी भी कहा जाता है। इस दिन मां विंध्यवासिनी की विधि-विधान से पूजा करने से सभी अवरोध समाप्त होते हैं जीवन में समृद्धि आती है। शास्त्रों में इस पूजा के द्वारा हर प्रकार की बाधा दूर होने की बात मिलती है। देवी की
देवी की पूजा एवं आराधना हर क्षण अत्यंत लाभकारी, मान्यताओं के अनुसार ग्रहों की शक्ति मनुष्य को प्रभावित करती है, जिसके निवारण के लिए विंध्यवासिनी की पूजा अत्यंत कारगर मानी गई है।देवी की शक्ति और उनका अनुग्रह पाने के लिए देवी की दैनिक पूजा आवश्यक है। किसी के भी जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए माता का पूजन अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
विंध्यवासिनी षष्ठी पूजा नियम
ज्येष्ठ माह के इस दिन मां विंध्यवासिनी की पूजा करने से भक्तों के सभी कार्य सफल होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि मां विंध्यवासिनी विंध्याचल पर्वत पर निवास करती हैं, इसी कारण माता को इस नाम से पुकारा गया है। आज के समय में मिर्जापुर जिले के पास मां विंध्यवासिनी का शक्तिपीठ स्थापित है जहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। हिंदू धर्म ग्रंथों में मां विंध्यवासिनी की महिमा का वर्णन किया गया है।
माता के पूजन में कुछ विशेष नियमों का पालन करने से पूजा के शुभ फल प्राप्त होते हैं। इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा का संकल्प धारण करना चाहिए। माता के दर्शन हेतु पूजन हेतु मंदिर के सामने स्वच्छ स्थान पर बैठकर मां विंध्यवासिनी की पूजा करनी चाहिए। पूजा हेतु मां की प्रतिमा या चित्र स्थापित करना चाहिए। मां विंध्यवासिनी की पूजा में फूल, अक्षत, रोली और अन्य सामग्री अर्पित करनी चाहिए। पूजा में घी का दीपक और धूप जलाना चाहिए। प्रसाद के लिए मिठाई अर्पित कर इसके बाद उनकी कथा पढ़या सुनें। इसके बाद आरती करें और प्रसाद बांटना चाहिए।
विंध्यवासिनी षष्ठी पौराणिक महत्व
श्रीमद्भागवत में इन्हें नंदजा देवी कहा गया है। इसके अलावा ये कृष्णानुजा, वनदुर्गा के नाम से भी जानी जाती हैं। माता की कथा का एक संबंध भगवान श्री कृष्ण के जन्म से भी जुड़ा है। मां के पूजन द्वारा वंश वृद्धि और उच्च पद की प्राप्ति का वरदान मिलता है।
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