जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा. श्री गणेश जी के निमित्त रखा जाने वाला यह पर्व जीवन में खुशियों के आगमन का संकेत बनता है. विनायक चतुर्थी के दिन भक्त अपने आराध्य श्री गणपति जी का पूजन करते हैं. विधि विधान से गणेश म्म्त्र का जाप करते हैं भजन कीर्तन करते हुए गणेश चतुर्थी का सिन मनाया जाता है. विनायक चतुर्थी व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व माना जाता है. यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और स्त्री तथा पुरुष सभी लोग इस व्रत को करते हैं. महिलाएं अपने जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति एवं अपने पति की लंबी उम्र और अपने बच्चों की सलामती के लिए इस व्रत को विशेष रुप से करती हैं.
इस वर्ष आषाढ़ चतुर्थी पूजन मुहूर्त
आषाढ़ माह की गणेश चतुर्थी का व्रत बृहस्पतिवार के दिन किया जाएगा. मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वहीं दूसरी ओर भगवान गणेश शुभ, बुद्धि, सुख-समृद्धि के देवता माने जाते हैं, इसलिए उनकी पूजा करने से विद्या, धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं आषाढ़ विनायक चतुर्थी की शुभ तिथि, शुभ मुहूर्त, मंत्र जाप के बारे में विस्तार पूर्वक
विनायक चतुर्थी तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 21 जून दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 09 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन गुरुवार 22 जून को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी. आषाढ़ मास में आने वाली चतुर्थी को दोपहर में गणपति जी की पूजा की जाती है और इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित माना गया है. इस बार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश पूजा का मुहूर्त सुबह 10 बजकर 59 मिनट से दोपहर 13 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.
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विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त विनायक चतुर्थी का व्रत रखते हैं उनके जीवन में संकटों की समाप्ति होती है. सच्ची श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा करने पर भक्तों को भगवान का आशीष प्राप्त होता है. जीवन में सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही उसे जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और उसके सभी काम पूरे होते हैं.इस गणेश चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में दुख और क्लेश से भी मुक्ति मिलती है.