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वास्तु अनुसार गणेश जी का महत्व
यदि वास्तु दोष के निवारण अर्थ उस स्थान पर गणेश स्थापना कि जाकर उसे दोषमुक्त किया जा सकता है किंतु यदि उस स्थान पर उपलब्ध वास्तु दोष का निवारण किसी अन्य देवता या शक्ति से समायोजित होगा ऐसी स्थिति में उस स्थान पर गणेश स्थापना निष्फल हो जाएगी.भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा के साथ की जाती है. ऐसे में उस कार्य में किसी भी तरह की बाधा नहीं आती है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश की पूजा किसी भी कार्य के पहले महत्वपूर्ण मानी जाती है. वास्तु नियमों को ध्यान में रखते हुए, बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाए और सजाई जाए, तो सुख-समृद्धि बनी रहती है. आइये जानें कुछ वास्तु नियम जो दे सकते हैं विशेष फल.
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गणेश प्रतिमा दिशा
गणेश प्रतिमा को जब घर पर रखें तो उसके लिए ईशान कोण का चयन करना शुभ माना जाता है. गणेश जी का इस स्थान में होना भक्तों के जीवन को शुभमय बना देता है. गणपति स्थापना इस प्रकार करें कि मूर्ति का मुख पश्चिम की ओर रहे. जहां पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें, उस जगह को रोज साफ करें. ध्यान रखें कि उस स्थान पर कचरा आदि इकट्ठा न होने पाए.
श्रीगणेश की प्रतिमा को इधर-उधर न रखें यानी हिलाएं नहीं क्योंकि देवता की स्थापना के बाद ऐसा करना ठीक नहीं माना जाता. भगवान श्रीगणेश को सुबह-शाम दीपक व भोग लगाएं तथा आरती करना शुभ होता है.
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स्थापना स्थल पर पवित्रता का खास ध्यान रखें जैसे अशुद्ध होकर, चप्पल पहनकर कोई भगवान की प्रतिमा को नहीं छूना चाहिए. किसी भी प्रकार का नशा करके स्थापना स्थल पर न जाएं, इससे उस स्थान की पवित्रता भंग होती है अत: इन बातों का विशेष ध्यान रखें. श्रीगणेश की पूजा में हमेशा दूर्वा व ताजे फूल चढ़ाएं तो बेहतर रहेगा. इस तरह रोज श्रीगणेश की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.