Vastu Tips
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वास्तु शास्त्र एक बेहद सफल एवं सकारात्मक ज्योतिष है. यह सभी पर अपना असर डालता है. इसके अच्छे बुरे प्रभाव किसी न किसी रुप में देखने को मिलते हैं. जीवन में वास्तु का बहुत महत्व है. इसका असर हर व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है. दरअसल वास्तु घर आदि बनाने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है. अक्सर देखा जाता है कि कुछ घरों में क्लेश अधिक रहता है या फिर आए दिन कोई न कोई हानि होती रहती है. किसी भी काम को आगे बढ़ाने में दिक्कत आना, घर में नकारात्मकता का एहसास होना आदि भी इन परिस्थितियों का कारण हो सकते हैं. घर में मौजूद इन वास्तु दोषों को दूर करने के लिए जो पूजा की जाती है उसे वास्तु शांति पूजा कहा जाता है.
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वास्तु और पंच तत्व
वास्तु का अर्थ है वह स्थान जहां भगवान और मनुष्य एक साथ रहते हैं. शरीर और वास्तु का संबंध इन्हीं पांच तत्वों से माना जाता है. कई बार ऐसा होता है कि हमारा वास्तु हमारे शरीर के लिए उपयुक्त नहीं होता है, तो यह बात हम पर प्रभाव डालती है और इसे ही वास्तु दोष कहा जाता है.वास्तु का अर्थ है वह स्थान जहां ऊर्जा और मनुष्य एक साथ रहते हैं. हमारा शरीर पांच मुख्य पदार्थों से बना है और वास्तु का संबंध इन्हीं पांच तत्वों से माना जाता है.
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मुहूर्त में वातु का उपयोग
वास्तु के उपयोग को मुहूर्त शास्त्र में भी उचित माना गया है. किसी भी घर में प्रवेश हो या काम करने का आरंभ हो या फिर जीवन में किसी प्रकार की शुरुआत इसमें वास्तु ज्ञान का होना सकारात्मक रुप से काम करता है. इसी प्रकार माह अनुसार भी वास्तु के विषय का विस्तार पूर्वक वर्णन मिलता है. मान्यताओं के अनुसार माघ, फाल्गुन, वैशाख और ज्येष्ठ माह को गृह प्रवेश के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है. जो व्यक्ति फाल्गुन माह में वास्तु की पूजा करता है, उसे सुख की प्राप्ति होती है.
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वास्तु पूजन के द्वारा व्यक्ति को अच्छे फल प्राप्त होते हैं. यदि किसी स्थान की शुभता प्राप्त नहीं हो पाती है तो ऎसे में वास्तु पूजन के द्वारा सकारात्मकता का आगमन होता है. भविष्य में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. बिना पूजा या हवन किए कोई भी कार्य वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है, इन नकारात्मक चीजों को दूर करने के लिए यह वास्तु पूजा की जाती है. ऐसा करने से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं.