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भगवान वराह श्री विष्णु के विभिन्न अवतारों में से एक अवतार माना गया है. धार्मिक रुप से यह मान्यता बेहद मजबूत रही है कि जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ा है, भगवान ने अवतार लिया है. ऎसे में पृथ्वी को दुष्टों से मुक्त कराने के लिए भगवान ने कई अवतार लिए और भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों में से एक अवतार भगवान वराह का अवतार भी विशेष है. भगवान के वराह अवतार के जन्म की कथा भी अत्यंत रोचक है. आइये जानते हैं भगवान वराह ने क्यों लिया यह अवतार
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भगवान के विभिन्न अवतारों का महत्व
धर्म कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के अवतारों का उद्देश्य भक्तों को कष्ट से मुक्त करने तथा भक्ति को प्रदान करने का रहा है. जब भी कष्ट वृद्धि को पाते हैम तब भगवान उन कष्टोम को दूर करने के लिए इस सृष्टि के कल्याण हेतु अवतार लेते रहे हैं. इन सभी में से एक है भगवान वराह का अवतार जो वराह रुपी स्वरुप को दर्शाता है. यह भगवान विष्णु के उन अवतारों में तीसरा अवतार है जब दुष्टों को समाप्त करने के लिए भगवान अवतरीत होते हैं.
भगवान के वराह अवतार की पूजा करना और उनकी अवतण की कथा को सुनना बहुत ही पुण्यमयी माना गया है. विष्णु के वराह अवतार का जन्म देवताओं को शुभता प्रदान करने हेतु तथा पृथ्वी को मुक्त करने हेतु होता है.
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भगवान वराह कथा
वराह अवतार कथा का वर्ण कई स्थानों पर प्राप्त होता है. एक कथा का संबंध हिरणाक्ष से है. इस कथा अनुसार एक बार हिरण्याक्ष पाताल लोक में वरुण की नगरी में जा पहुंचा और वरुण देव से युद्ध के लिए ललकारा. तब सभी देवताओं ने मिलकर ब्रह्माजी से हिरण्याक्ष से मुक्ति की प्रार्थना की. ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए नासिका से वराह नारायण को जन्म दिया.
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ऐसे ही ब्रह्मा जी की नासिका से विष्णु जी के तीसरे अवतार वराह अवतार का जन्म हुआ.इसके बाद वरुण देव ने देवर्षि नारद से भगवान विष्णु के बारे में पूछा और देवर्षि नारद ने बताया कि श्रीहरि वराह अवतार लेकर समुद्र से पृथ्वी को बाहर ले गए हैं. दैत्य हिरण्याक्ष ने भगवान वराह को युद्ध के लिए लालकारा दिया. इसके बाद भगवान वराह और हिरण्याक्ष के बीच महायुद्ध हुआ. फिर भगवान विष्णु के वराह अवतार ने अपने दांतों से हिरण्याक्ष का पेट फाड़ दिया और पृथ्वी को पुन: स्थापित किया और सभी ओर शांति का माहौल उत्पन्न हुआ.
वराह भगवान पूजन लाभ
वराह भगवान का पूजन विशेष तिथि अनुसार होता ही है लेकिन इसके अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष के दौरान पर भी किया जाता है इसका पूजन करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं. जीवन में सुख एवं सौभाग्य का आगमन होता है.