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Vaman Dwadashi 2024: वामन द्वादशी 2024, जानिए वामन द्वादशी पूजा मंत्र एवं पूजा विधि

Acharya Rajrani Sharma Updated 20 Apr 2024 09:57 AM IST
Vaman Dwadashi
Vaman Dwadashi - फोटो : google

खास बातें

Vaman Dwadashi Tithi चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी अर्थात बारहवीं तिथि को वामन द्वादशी का पूजन किया जाता है. इस दिन श्री विष्णु भगवान के वामन रुप की पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन वामन भगवान का पूजन भक्तों को सुरक्षा प्रदान करता है. 
 
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Vaman Dwadashi Tithi चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी अर्थात बारहवीं तिथि को वामन द्वादशी का पूजन किया जाता है. इस दिन श्री विष्णु भगवान के वामन रुप की पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन वामन भगवान का पूजन भक्तों को सुरक्षा प्रदान करता है. 

Lord Vaman Vrat वामन द्वादशी के दिन भगवान श्री विष्णु के वामन रुप का पूजन होता है. भगवान ने वामन अवतार लेकर राजा बली से तीनों लोकों को प्राप्त कर लिया था. इस दिन किया गया पूजन भक्तों को त्रिगुणात्मक शक्ति प्रदान करता है. 

शास्त्रों में भगवान के अनेक अवतारों का उल्लेख मिलता है. भगवान श्री हरि के हर अवतार की कथा जीवन के नवीन स्वरुप एवं कल्याणकारी घटना क्रम से संबंधित रही है. भागवत पुराण के अनुसार वामन भगवान विष्णु के दशावतार में से पांचवें अवतार थे. त्रेता युग में भगवान ने इस अवतार के रुप में जन्म लिया था. यह अवतार उन्होंने राजा बाली से तीन लोकों का अधिकार पुनः प्राप्त करने के लिए लिया था.

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वामन द्वादशी पूजा 2024 

 वामन द्वादशी के समय को श्री विष्णु के वामन अवतार की द्वादशी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु के अवतार वामन भगवान की पूजा की जाती है. वामन द्वादशी के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद पूजा की तैयारी करते हैं. चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की तस्वीर स्थापित करते हैं. वामन भगवान की पूजा में उन्हें रोली, फूल, धूप दीप नैवेद्य आदि अर्पित करते हैं. साथ ही भगवान को दही और मिश्री का भोग लगाना शुभ होता है. पूजा के बाद वामन अवतार की आरती, मंत्र, स्त्रोत कथा का पाठ करना शुभ फलों को प्रदान करता है. 
 

वामन मंत्र 

ॐ नमो विष्णवे सुरपतये महाबलाय स्वाहा
 
विनियोग
अस्य मंत्रस्य इन्दुषिविराट्छन्दो दधिवामनो देवता सर्वेष्टसिद्धये जपे विनियोगः।

ऋष्यादिन्यास
ॐ इन्दु ऋषये नमः शिरसि॥
विराट्छन्दसे नमः मुखे॥
दधिवामनदेवतायै नमः हृदि॥
विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे॥

करन्यास
ॐ अंगुष्ठाभ्यां नमः॥
नमः तर्जनीभ्यां नमः ॥
विष्णवे मध्यमाभ्यां नमः ॥
सुर पतये अनामिकाभ्यां नमः॥
महाबलाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः ॥
स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ॥

हृदयादिषडंगन्यास
ॐ हृदयाय नमः॥
नमः शिरसे स्वाहा॥
विष्णवे शिखायै वषट्।
सुरपतये कवचाय हुं॥
महाबलाय नेत्रत्रयाय वौषट्।
स्वाहा अस्त्राय फट्॥

ध्यान
ॐ मुक्तागौरं नवमणिलसद्धषणं चन्द्रसंस्थं भृङ्गाकारैरलकनिकरैः शोभिवक्त्रारविन्दम।
हस्ताब्जाभ्यां कनककलशं शुद्धतोयाभिपूर्णं दध्यन्नाढ्यं कनकचषकं धारयन्तं भजामः ॥

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श्री वामन देव जी की आरती  

ॐ जय वामन देवा, हरि ॐ जय वामन देवा ।
बलि रजा कें द्वारे ॐ जय वामन देवा, हरि ॐ जय वामन देवा, सन्त करे सेवा ॥

वामन रूप अनुपम, छत्र दंड शोभा
ॐ जय वामन देवा, हरि ॐ जय वामन देवा ।
तिलक भालकी मनोहर भक्तन मन मोहा ॥

आगम निगम पुराण बतावे, मुख मंडल शोभा
ॐ जय वामन देवा, हरि ॐ जय वामन देवा ।
करनन कुंडल भूषण, पार पड़े सेवा ॥

परम कृपाला जाके, भूमी तीन पड़ा
ॐ जय वामन देवा, हरि ॐ जय वामन देवा ।
तीन पाव है कोई, बलि अभिमान खड़ा ॥

प्रथम पाद रखे ब्रह्मा, लोक में दुजो धार धरा
ॐ जय वामन देवा, हरि ॐ जय वामन देवा ।
तृतीय पाद मस्तक पे, बलि अभिमान खड़ा ॥

रूप त्रिविक्रम हरे, जो सुखमे गावे
ॐ जय वामन देवा, हरि ॐ जय वामन देवा ।
सुख सम्पती नाना विध, हरि जीसे पावे ॥
ॐ जय वामन देवा, हरि ॐ जय वामन देवा ।
॥ इति श्री वामन देव आरती संपूर्णम् ॥
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