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Home ›   Blogs Hindi ›   Valmiki Jayanti 2023: Valmiki Jayanti is celebrated with enthusiasm and devotion across the country.

Valmiki Jayanti 2023: देश भर में उत्साह और भक्ति के साथ मनाई जाती है वाल्मीकि जयंती

my jyotish expert Updated 28 Oct 2023 10:49 AM IST
Valmiki Jayanti 2023
Valmiki Jayanti 2023 - फोटो : my jyotish
वाल्मिकी जयंती का समय पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हिंदू धर्म में अनेक धर्म ग्रंथों की रचनाएं प्राप्त होती हैं हर एक ग्रंथ का अपना विशेष प्रभाव है. किंतु जब बात आती है पवित्र रामायण की तो यह भक्तों के मन को भीतर तक छू लेने वाली रचना बन जाती है. यह श्रेष्ठ जीवन चरित्र को दर्शाती है. समस्त लोगों के हृदय में मर्यादा पुरुषोत्तम राम की छवि का जो स्वरुप उभरता है उसके लिए महर्षि वाल्मिकि जी के ज्ञान एवं चित्रण को सदैव ही नमन किया जाता है. माना जाता है कि ऋषि, भगवान श्री राम के परम भक्त माने जाते थे तथा उन्होंने एक घटना से प्रभावित होकर इस महान ग्रंथ को साकार किया. 

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महर्षि वाल्मिकी जयंती का पर्व हर साल भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है. धार्मिक ग्रंथ रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मिकी की जयंती पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है. वाल्मिकी जयंती के अवसर पर उनकी रचनाओं का पाठ किया जाता है. देशभर में रामायण की झांकियां भी निकाली जाती हैं. राम मंदिरों में भगवान की भव्य पूजा की जाती है और वाल्मिकी जी की पूजा की जाती है. ऋषि महर्षि वाल्मिकी जी की जयंती के अवसर पर कई स्थानों पर धार्मिक कार्यक्रमों के साथ-साथ भजन संध्या आदि का भी आयोजन किया जाता है. श्रीराम भक्तों के हृदय में रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मिकी जी के प्रति सदैव सम्मान और भक्ति की भावना रही है.
 
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आदि कवि थे महर्षि वाल्मिकी 
आदि कवि महर्षि वाल्मिकी जी का जीवन बेहद विशेष रहा है. उन्हें आदि कवि का सम्मान प्राप्त हुआ है उनके माध्यम से रामायण नामक संपूर्ण ग्रंथ की रचना संभव हो पाई वाल्मिकी जी के जीवन से जुड़ी कई कहानियाँ हैं. एक पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि बनने से पहले वाल्मिकी जी का नाम रत्नाकर था और वे एक डाकू के रूप में जीवन व्यतीत करते थे. लेकिन एक बार जब उसका सामना ऋषि नारद से हुआ, तो उसे अपने कार्यों का एहसास हुआ. अपनी गलतियों को सुधारते हुए, वह घर छोड़ देता है और तपस्या में लीन हो जाता है और 'मरा मरा' नाम का जप करके राम राम नाम का आशीर्वाद प्राप्त करता है. वर्षों की कठिन साधना के बाद उनकी तपस्या सफल होती है और उन्हें वाल्मिकी नाम मिलता है और फिर रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ के आगमन से मानव जाति का कल्याण संभव हो पाता है.
 
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