एकादशी तिथि में स्मार्त ओर वैष्णव तिथि का भी भेद देखने को मिलता है. इस कारण उत्पन्ना एकादशी दो दिन व्रत के लिए विशेष रहेगी. इस बार वैष्णव के लिए एकादशी तिथि का व्रत शनिवार के दिन होगा. आइये जानें व्रत का समय वैष्णव एकादशी अनुसार और व्रत के विशेष नियम
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वैष्णव उत्पन्ना एकादशी तिथि 2023
वैष्णव उत्पन्ना एकादशी का दिन शनिवार को होगा और यह 9 दिसंबर 2023 के दिन व्रत के साथ संपन्न होगी. 10 दिसंबर के दिन वैष्णव एकादशी के लिए पारण का समय सुबह 07:03 से आरंभ होगा और 07:13 तक यह शुभ रहने वाला है.
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय सुबह 07:13 बजे होगा. वैष्णव उत्पन्ना एकादशी तिथि का प्रारम्भ 08 दिसंबर 2023 को 05:06 बजे होगा और वैष्णव उत्पन्ना एकादशी तिथि की समाप्ति 09, 2023 को होगी.
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वैष्णव उत्पन्ना एकादशी पूजा नियम
धार्मिक कथाओं के अनुसर हर एकादशी विशेष होती है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था. इस कारण यह उत्पन्ना एकादशी के रुप में पूजनीय है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से संपुर्ण शुभ फल प्राप्त होते हैं.
शास्त्रों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है. भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. भक्त लोग इस उत्पन्ना एकादशी का व्रत और पूजा पूरे विधि-विधान से करते हैं.
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इस एकादशी का व्रत दशमी की रात्रि से आरंभ होकर द्वादशी के सूर्योदय तक चलता है. इस व्रत की शुरुआत दशमी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करके की जाती है. उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करना फलदायी होता है. इसके बाद भगवान विष्णु और माता एकादशी की पूजा की जाती है. इस दिन मंत्र जाप करने और भगवान विष्णु की कथा सुनने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
उत्पन्ना एकादशी के दिन दीपदान और अन्नदान करना चाहिए. इसके साथ ही गरीबों को दान देना चाहिए. एकादशी की रात्रि के समय भजन-कीर्तन करना चाहिए तथा देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए. ऎसा करने से संपूर्ण शुभ फल प्राप्त होते हैं
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