उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी गठबंधन से सम्बंधित बयान दे चुके हैं कि इस बार उनकी पार्टी बड़ी राजनैतिक पार्टियों की अपेक्षा छोटे दलों से गठबंधन करेगी। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव-2022 के लिए अखिलेश यादव क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधने के लिए छोटे-छोटे दलों से गठबंधन कर समीकरण बना रहे हैं। पाँच छोटी पार्टियों से भिन्न क्षेत्रों में गठबंधन कर चुकी सपा को इस चुनाव में वोट काटने वालों का किरदार निभाने वाली छोटी पार्टियों से आशा बढ़ती हुई दिख रही है। सपा प्रमुख ने बड़े दलों से गठबंधन ना करने और छोटे दलों के साथ गठजोड़ करने का निर्णय पहले ही ले लिया था।
शरद पवार और अखिलेश यादव के जन्म से सम्बंधित जानकारी के अनुसार दोनों की जन्म कुंडली के आधार पर ज्योतिष के माध्यम से उनके राजनैतिक साथ का विश्लेषण किया गया। शरद पवार का जन्म सन् 1940 में दिसम्बर की 12 तारीख़ को महाराष्ट्र के बारामती में हुआ था।
इस जानकारी के आधार पर बनाई गई कुंडली के अनुसार, उनकी चन्द्र राशि मेष है। राशि का स्वामी मंगल होने के कारण वे बेबाक़ हैं। पार्टी सदस्यों द्वारा घटना के पहले दिन लखीमपुर खीरी का दौरा करने का दवा करने वाले शरद पवार ने लखीमपुर खीरी की घटना की तुलना जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड से की थी। उन्होंने कहा था कि यूपी में उनका प्रभाव सीमित है, लेकिन फिर भी लखमीपुर-खीरी गए। उनके दावे के अनुसार उत्तर प्रदेश में बदलाव के लिए उनकी पार्टी बीजेपी विरोधी वोटों के बँटवारे रोकने की कोशिश करने हेतु बीजेपी के विरुद्ध लड़ने वाली पार्टी को समर्थन देने की आवश्यकता है।
एनसीपी अध्यक्ष पवार की कुंडली में छठे घर का चन्द्र
27° पर मेष राशि में 58′ 43″ रेखांश पर शनि व गुरु के साथ है। गुरु के राशि परिवर्तन के पश्चात् अब जनवरी में शरद पवार काँग्रेस और विपक्षी पार्टियों के गठबंधन यूपीए अर्थात् संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के अध्यक्ष पर आसीन हो सकते हैं।
अखिलेश यादव गठबंधन में उन पार्टियों को शामिल करेगी जो यूपी में अधिक प्रभावशाली नहीं है। समाजवादी पार्टी की उन छोटे दलों से गठबंधन हेतु बातचीत कर रही है जो अपने इलाक़ों में वोट तथा जातियों पर पकड़ बनाए हुए हैं। प्रसपा प्रमुख और अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव का सपा से गठबंधन का इंतजार अभी समाप्त नहीं होगा। अखिलेश कई बार इशारा कर चुके हैं कि चाचा (शिवपाल) का सम्मान किया जाएगा। शिवपाल की ओर से भी नरमी दिखाई जा रही है। इससे क़यास लगाना कठिन नहीं है कि सपा और प्रसपा में भविष्य में गठबंधन हो सकता है। किन्तु, प्रसपा से गठबंधन की स्थिति अभी तक साफ़ नहीं हो पाई है।
ज्योतिष के अनुसार, सपा के गठबंधन की ओर मुस्लिमों का आकर्षण बसपा के लिए हानिदायक होगा। सपा और बसपा में बँट जाने से भाजपा को निश्चित ही लाभ होगा। चूँकि, बसपा दलित व मुस्लिम गठबंधन के आधार पर चुनाव जीतना चाहेगी। इसलिए, सपा का अन्य दलों से गठबंधन करने से बहुजन समाज पार्टी को नुक़सान हो सकता है।
अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी का केशव देव मौर्य के महान दल, डा. संजय सिंह चौहान की जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा 2017 के चुनाव में भाजपा से गठबंधन करने वाले ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ-साथ राष्ट्रीय लोक दल से भी गठबंधन किया है। पूर्वांचल में रालोद के कुछ सीटों पर प्रभाव तथा गाजीपुर के आसपास के जिलों में राजभर जाति के वोट बैंक से सपा को थोड़ा-बहुत लाभ मिल सकता है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा की स्थिति मज़बूत भी हो सकती है।
ममता, लालू, नीतीश, शरद जैसे बड़े नेताओं द्वारा सपा के पक्ष में प्रचार करने से हवा तो बनेगी। किन्तु, उन्हें उतनी ही कामयाबी मिलेगी जितनी कि बिहार के चुनाव में मिली थी। क्योंकि, उनकी कुंडली में गण दोष है। जिसके कारण उन्हें इस गठबंधन से समृद्धि मिलने की आशंका बहुत कम है।